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Film 'किल'
- एक्शन के नाम पर कितना तांडव झेल सकते हैं आप? अगर आप लगातार हिंसा के दृश्यों को सवा घंटे तक झेल सकें, तो ही यह फिल्म देखने के लिए जाएं।
- यह फिल्म पहले हिंदी में बनी है, और अब हॉलीवुड में इसका रीमेक बन रहा है।
- लगभग पूरी फिल्म स्टूडियो में रेल का डिब्बा बनाकर शूट की गई है।
- धर्मा प्रोडक्शंस वाले कभी रोमांटिक फिल्मों के लिए मशहूर थे, लेकिन अब फिल्म फैक्ट्री चला रहे हैं।
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'किल' फिल्म का नाम होना चाहिए था -'छोटा एनिमल"
कभी रोमांटिक फिल्में बनाने के लिए मशहूर धर्मा प्रोडक्शन की प्योर एक्शन फिल्म है 'किल'। ट्रैन एक्शन थ्रिलर। फिल्म के अधिकांश कलाकार नये हैं। स्थापित कलाकारों में आशीष विद्यार्थी, हर्ष छाया ही हैं।
यह पूरी फिल्म एक रात की, एक ट्रेन यात्रा की, ट्रेन के तीन दो-तीन डिब्बों में तीन घंटे चले घटनाक्रम की कहानी है। यह पहली हिंदी फिल्म है जिसे हॉलीवुड के निर्देशक जॉन क्विक ने अंग्रेज़ी में बनाने का ऐलान किया है।
एकाध को छोड़कर इस फ़िल्म में कोई रोमांटिक सीन, नाच - गाना, डायलॉगबाजी, किसिंग सीन आदि नहीं है। निर्देशक निखिल नागेश भट्ट का कहना है कि 2016 में उन्होंने रांची-पुणे ट्रेन में ऐसी ही एक डकैती देखी थी और उसी से प्रभावित होकर इस फिल्म को बनाया गया है।
यह एक एक्शन फिल्म है तो हीरो को कमांडो के रूप में पेश करना ज़रूरी और मजबूरी थी। हीरो अपने एक कमांडो साथी को लेकर प्रेमिका की पटना से दिल्ली की ट्रेन में, सेकंड ऐसी डिब्बे में चढ़ा है।
ट्रेन में करीब बीस बिहारी- झारखंडी डाकू घुस आये हैं। इनके पास चाकू, खुकरी, कटार जैसे ट्रेडिशनल और पुराने हथियार हैं और उन्होंने ट्रेन के डिब्बों के बीच में लगे शटर को बंद कर ताला लगा दिया है। ट्रेन की सुरक्षा जंजीर को काट दिया है ताकि कोई यात्री ट्रेन को रोकने में कामयाब नहीं हो सके। और साथ ही अपने साथ लाये गये जैमरों से मोबाइल नेटवर्क जाम कर दिया है ताकि निर्बाध होकर लूटपाट कर सकें।
अब ट्रेन में डकैती के दौरान क्या-क्या होता है, इसी पर फ़िल्म है। कमांडो की प्रेमिका का परिवार भी ट्रेन में है और कमांडो भी कोई ऑर्डिनरी कमांडो नहीं है, बल्कि एनएसजी का कमांडो है तो उसकी शक्ति, अक्ल, त्वराबुद्धि, निपुणता डाकुओं से कहीं ज्यादा है।
लेकिन कमांडो केवल दो हैं और डाकुओं की संख्या दस गुनी। डाकू अपने और और साथियों को भी ट्रेन रुकवा कर बुला लेते हैं। अब लड़ाई होती है दो और 40 के बीच। समझ सकते हैं कि भारतीय सेना के कमांडो किसी की जान बचाने पर आये क्या-क्या हो सकता है।

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