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आज फिर उत्तराखंड के पांच नौनिहाल भारत माता की एकता और अखंडता के लिए शहीद हुए हैं। मैं उनके बलिदान को प्रणाम करता हूं और उनके शोक संतृप्त परिवारों तक अपनी संवेदना संप्रेषित करता हूं। आज से 21 साल पहले इसी तरीके की परिस्थितियों में मेरे बड़े दामाद जो लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में उसी सप्ताह पदोन्नत होने वाले थे, अपने पुत्र तुषार के नामकरण से सीधे फ्रंट पर पहुंचे और शहीद हो गये। आतंकवाद न जाने कितने परिवारों को अश्रुपूर्ण स्थिति में छोड़ रहा है। आज भी जब कहीं इस तरीके की शहादत के समाचार आते हैं तो मुझे अपने उस पारिवारिक दुखद स्थिति का स्मरण हो आता है। जब भी मैं अपनी बेटी को, अपने नातनियों को जो अब डॉक्टर भी हो गई हैं या नाती तुषार को देखता हूं तो मुझे अपने दामाद के बलिदान के समाचार का स्मरण हो आता है और हृदय चीखने लगता है, आंसू थामने कठिन हो जाते हैं, मैं आतंकवाद के हाथों शहीद हो रहे परिवारों के दुःख को समझता हूं, न जाने कब कश्मीर में आतंकवाद थमेगा? हमें पूरी शक्ति के साथ इस आतंकवाद को कश्मीर में कुचलना है और इसके लिए सारे देश सरकार के प्रयासों के साथ एकजुट है।

#uttrakhand

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