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वीरू देवगन: संघर्ष और सफलता की मिसाल 🌟
वीरू देवगन, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने एक्शन डायरेक्टर और स्टंट कोरियोग्राफर, बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन के पिता थे। उनका जन्म 25 जून 1934 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। वीरू देवगन ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया और अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से एक सफल करियर बनाया।
वीरू देवगन ने मात्र 13 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई का रुख किया। उनके पास न तो पैसे थे और न ही कोई काम। उन्होंने मुंबई में कई कठिनाइयों का सामना किया, जिनमें सबसे बड़ी कठिनाई थी जीविका चलाना। एक बार, एक व्यक्ति ने उन्हें अपनी कार धोने के बदले में उसमें सोने की इजाजत दी। यही से वीरू देवगन की संघर्षमयी यात्रा शुरू हुई।
मुंबई में पहले उन्होंने एक कारपेंटर के रूप में काम किया। कुछ समय बाद, वह गैंगस्टर भी बन गए थे और उनका अपना गैंग हुआ करता था। एक दिन, डायरेक्टर श्री रवि खन्ना ने सड़क पर हो रहे झगड़े को देखा और वीरू देवगन को बुलाकर कहा, "तू लड़ता अच्छा है, कल मुझे आकर मिल।" यह मौका वीरू के लिए एक नई शुरुआत साबित हुआ और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।
वीरू देवगन ने बॉलीवुड में एक्शन डायरेक्टर और स्टंट कोरियोग्राफर के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कई हिट फिल्मों में एक्शन सीक्वेंस और स्टंट्स कोरियोग्राफ किए, जिनमें 'फूल और कांटे', 'दिलवाले', 'इश्क', 'हिम्मतवाला', और 'शहंशाह' जैसी फिल्में शामिल हैं। उनके द्वारा किए गए एक्शन सीक्वेंस आज भी याद किए जाते हैं और उनकी कार्यशैली की सराहना की जाती है।
वीरू देवगन ने अपने बेटे अजय देवगन को भी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया। अजय देवगन ने न केवल अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई, बल्कि एक सफल अभिनेता और निर्माता के रूप में भी पहचान बनाई। वीरू देवगन की बेटी, काजोल, भी बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं।
27 मई 2019 को वीरू देवगन का निधन हो गया, लेकिन उनकी यादें और उनके द्वारा किया गया काम आज भी बॉलीवुड में जीवित है। वीरू देवगन की संघर्ष और सफलता की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। वीरू देवगन की यह कहानी बताती है कि कठिनाइयों के बावजूद, दृढ़ संकल्प और मेहनत से हर कोई अपने सपनों को साकार कर सकता है। वीरू देवगन की जीवन यात्रा संघर्ष, साहस और सफलता की एक अद्भुत मिसाल है। 🌟

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