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जय जय श्री सीताराम 🌹 🌹 🙏 🙏 🙏 🌹 🌹 🌹 नर नारायन सरिस सुभ्राता । जग पालक बिसेषि जन त्राता ॥
भगति सुतिय कल करन बिभूषन । जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन ॥ ३ ॥
ये दोनों अक्षर नर-नारायण के समान सुंदर भाई हैं, ये जगत का पालन और विशेष रूप से भक्तों की रक्षा करने वाले हैं । ये भक्ति रूपिणी सुंदर स्त्री के कानों के सुंदर आभूषण (कर्णफूल) हैं और जगत के हित के लिए निर्मल चन्द्रमा और सूर्य हैं ॥ ३ ॥ जय जय श्री सीताराम 🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹

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