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PPAC के विरोध में कल दिल्ली भाजपा के सभी 14 जिलों में आहूत प्रदर्शन पर आज प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

2015 से हर सर्दी और गर्मी में वर्ष की संबंधित तिमाही के लिए PPAC बढ़ाया जाता है, लेकिन तिमाही के अंत के बाद इसे कभी वापस नहीं लिया जाता है और जो PPAC 1.5% शुल्क के रूप में शुरू हुआ था, वह अब लगभग 45% तक पहुँच गया है, यह AAP सरकार द्वारा अपने स्वार्थपूर्ति के लिये दिल्ली वासियों पर लगे अर्थदण्ड के समान है, सरकार और बिजली वितरण कंपनियों द्वारा गर्मियों या तेज सर्दियों की जरूरतों के लिए पहले से बिजली खरीदने में विफल रहने की कीमत हमारे दिल्ली वासियों को चुकाना पड़ रहा है।

PPAC 2015 तक बिजली वितरण कंपनियों के लिए स्वीकृत व्यावसायिक विनियामक योजना का हिस्सा नहीं था और यह अरविंद केजरीवाल सरकार और बिजली वितरण कंपनियों के बीच बड़े भ्रष्टाचार की मिली भगत का हिस्सा है और हम इसकी न्यायिक जाँच की माँग करते हैं।

मैं DERC के चेयरमैन से आग्रह हूँ कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें और बिजली वितरण कम्पनियों को प्रति यूनिट शुल्क से ही लाभ में होने के बावजूद भी बढ़ा हुआ PPAC पेंशन अधिभार, मीटर किराया, लोड अधिभार आदि लगाए जाने की न्यायिक जाँच करवायें और सभी अधिभार वापस लिए जायें जिससे जनमानस को सहूलियत प्राप्त हो पाये।

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