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शीतल देवी, जो अपने पांव से रोजाना 300 तीर चलाती हैं, ने अपनी मेहनत और लगन से पैरा एशियाड में दो स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। उनकी इस सफलता का श्रेय उनकी निरंतर मेहनत और समर्पण को जाता है। शीतल का अगला लक्ष्य पेरिस पैरालम्पिक में देश के लिए शीर्ष स्थान हासिल करना है।
पैर से तीर चलाकर पदक जीतने वाली विश्व की पहली महिला बनने के बाद, शीतल अब पैरा विश्व तीरंदाजी रैंकिंग के महिला कंपाउंड ओपन वर्ग में शीर्ष तीरंदाज बन गई हैं। यह उनकी अद्वितीय क्षमता और दृढ़ संकल्प का परिणाम है।
नई दिल्ली में ‘बीइंग यू’ किताब के कवर लॉन्च के मौके पर, शीतल ने बताया कि वह पैरालम्पिक में पदक जीतने के लिए पुरजोर अभ्यास कर रही हैं। उनकी यह सफलता उन्हें और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर रही है। शीतल का यह सफर संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है, जो हर किसी के लिए प्रेरणा है।
शीतल देवी का यह सफर न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और सफलता की कहानी है, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी है। उनके जीवन की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समर्पण और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
शीतल देवी को सलाम! 🏆

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