जय जय श्री सीताराम 🌹 🌹 🙏 🙏 🙏 🌹 🌹 भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥
सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा। करउँ नाइ रघुनाथहि माथा॥(१)
भावार्थ:- प्रेम-भाव से, बैर-भाव से, क्रोध-भाव से या आलस्य-भाव से, किसी भी प्रकार से नाम जप दसों दिशाओं में मंगलकारी है। इसी मंगलकारी "राम" नाम का स्मरण करके श्रीरघुनाथ जी के चरण कमलों पर शीश झुकाकर मैं श्रीराम जी के गुणों की व्याख्या करता हूँ।(१)