आजकल अंबानी परिवार चर्चा में है तो अंबानी परिवार की ही बात कर लेते है जो बात मैंने कई बार नोटिस की, जो हम आम परिवारों में नहीं होती लेकिन इनमें देखने को मिलती है एक जो सचमुच में देखने और सीखने वाली बात है हमारे यहां मिडिल क्लास में क्या होता है नए नए चार पैसे आते नहीं के हम बच्चों को आया के हवाले कर देते है ब्याह शादी के मौकों, घूमने फिरने, शॉपिंग के समय "आया" साथ साथ चलती है बच्चो को उठाए हुए और खासतौर पर फंक्शन में तो हैवी कपड़े जूलरी होती है बच्चों को हाथ भी नहीं लगाएंगे क्योंकि बच्चो को उठाने में तो शर्म आती है या परेशान हो जाते है लेकिन सिर्फ एक अंबानी परिवार को मैने ऐसे देखा ईशा हो या श्लोका, या इनके पति या फिर इन बच्चों के दादा नाना मुकेश अंबानी हर जगह, हर समय दो दो बच्चे इन्होंने एक साथ उठाए हुए होते है और तो और बिल्कुल पुराने समय के जैसे साइड कमर पर बैठाए हुए होते है इनको न शर्म आती है न ये लोग परेशान दिखते है ...
ये सब चोंचले हम आम लोग ही ज्यादा करते है .....
दूसरा इन लोगों के कपड़े देख लो, या रीति रिवाज भारतीय संस्कृति सभ्यता का सिर ऊंचा करते हुए, इनकी बहु बेटियों के कपड़े हो या संस्कार देखने वाले होते है.सभी अपना कारोबार भी देखती हैं.
दूसरी तरफ भारतीय सिनेमा से जुड़ी हुई बहनों को देख लो होड़ लगी हुई है उटपटांग कपड़े पहनने की ..खैर ...
लेकिन अंबानी परिवार इस बात को सही साबित करता है कि इंसान जितना ज्यादा ऊपर उठता है उसको उतना ही ज्यादा धरती से जुड़ा हुआ होना चाहिए ....
जय श्रीराम...
जय सनातन

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