(1) 1910 से 1947 तक भारत का मुसलमान कहता था कि हमे अलग मुल्क चहिये हम अलग इस्लामिक देश “पाकिस्तान” बनायेंगे। हम काफिर हिंदूओ के साथ नहीं रह सकते।

(2) 14 अगस्त 1947 के दिन 10 लाख 38000 Sq Km की ज़मीन तथा करोड़ो रुपये लेकर अलग हुए, अलग होने के बाद भी गांधी को ब्लैकमेल करके फिर से करोडो रूपये लिये।

(3) 14 अगस्त 1947 की रात लाखों मुसलमान भारत में ही रह गये, वो पाकिस्तान नहीं गए, वर्षों से धर्म के आधार पर बटवारा चाहने वाले अचानक एक रात में ही अपना विचार क्यों बदल दिये और भारत में रुक गये। ( ये विषय सरदार पटेल ने भी असेंबली में उठाया था)

धर्म के आधार पर हुए बटवारे के 77 वर्ष बाद आज हम फिर उसी परिस्तिथि में आ गये है। अंतर केवल इतना है कि तब इन्हें अलग मुल्क पाकिस्तान चाहिए था अब इन्हें पूरा भारत चाहिए और हिंदूओ को कही और चले जाने की चेतावनी दे रहे।

अब हिंदूओ को सोचना है कि वे कहा जाये, हे कोई हिंदूओ का अपना देश?

सिर्फ़ दो ही विकल्प है हिंदूओ के पास “संघर्ष या समर्पण”।

“संघर्ष” करके अपना देश “हिंदुस्थान” बचा ले
या फिर “समर्पण” करके इस्लाम स्वीकार ले।

मैं संघर्ष के लिए तैयार हूँ, और आप ?