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सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' जी की वॉल पर अजीत प्रताप सिंह जी की पोस्ट :

राइट विंग वालों की ये बात सबसे बढ़िया लगती है कि वह अपनी पसन्द की सरकार से भी 100 सवाल करना जानते हैं...

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एक बार मैं परिवार के साथ अपनी 7 साल पुरानी सेकेंड हैंड कार से कहीं जा रहा था। ट्रैफिक पर गाड़ी रुकी और कार के शीशे पर एक भिखारी खट-खट करने लगा। मेरे पास न चेंज थे, और न उस ठीक-ठाक शरीर वाले भिखारी को कुछ देने का मन, तो इग्नोर किया। पर वह लगातार शीशे पर खटखट करता रहा। मैंने शीशा नीचे किया और उसे आगे बढ़ने को बोला। अगला जवाब में कहता है कि हुंह, गाड़ी में चल रहे हो और किसी को दस-पाँच रुपये दे नहीं सकते?

आप पैसा किसके लिए कमाते हैं? अपने लिए, अपने परिवार के लिए। भीख या दान देना आपकी स्वेच्छा पर निर्भर करता है। आप किसी को भीख दें, या मन में धर्म मानकर दान करें तो यह भीख प्राप्त करने वाले का, या दान ग्रहण करने वाले का अधिकार नहीं बन जाता कि वह इसकी डिमांड करने लगे।

आप कमाते हैं, बचाते हैं ताकि आड़े वक्त पर वह पैसा आपके काम आए, आप अपने बच्चे के लिए कुछ छोड़ कर जाएं। आप उस पैसे को कमाने के लिए न जाने कितने वर्ष पढ़ाई-लिखाई में परिश्रम करते हैं, ऑफिसों या अपने बिजनेस में मेहनत करते हैं और महीने के काम का भुगतान पाते हैं। एक महीने काम करने का मेहनताना। अब इसपर सरकार इनकम टैक्स ले लेती है।

वो टैक्स किसलिए लेती है? कि देश चलाना है, सड़क, हॉस्पिटल, स्कूल, पुल बनाने हैं, गरीबों को सुविधा देनी है, कुल मिलाकर देश मजबूत करना है। बिलकुल कीजिये देश मजबूत। देश के लिए तो जान हाजिर है। पर मुझे बताइए कि क्यों मैं ही टैक्स दूँ और मेरे पैसे से बाकी सब मजे करें। 2-3% प्रतिशत जनता टैक्स दे, और उसका लाभ सबको 100% जनता को मिले?

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