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"मैं जब बड़ा हो रहा था तो जानता था कि मेरे पिता बहुत मशहूर हैं। लेकिन मैंने उनके अंदर किसी तरह के स्टार वाले नखरे नहीं देखे। उन्होंने ना कभी खुद को और ना ही कभी अपने स्टारडम को गंभीरता से लिया। हमारे घर का माहौल एकदम सामान्य सा था। इसलिए पिता जी के स्टारडम का हम पर कोई प्रभाव कभी नहीं पड़ा।" शादाब खान ने अपने पिता अमजद खान को याद करते हुए एक इंटरव्यू में ये बात कही थी। उस इंटरव्यू में शादाब खान ने अमजद खान के बारे में और भी कई बातें की थी।
आज अमजद खान जी की पुण्यतिथि है। 32 साल पहले आज ही के दिन, यानि 27 जुलाई 1992 को अमजद खान साहब ये दुनिया छोड़कर चले गए थे। आईए, अमजद खान जी को याद करते हुए उनके बारे में दिलचस्प बातें जानते हैं। और ये बातें हम जानेंगे शादाब खान के पॉइन्ट ऑफ व्यू के अनुसार ही। आपसे विनती है कि इस पोस्ट को लाइक-शेयर अवश्य कीजिएगा।
स्कूल की छुट्टियों में मैं अक्सर अपने पिता की शूटिंग देखने उनकी फिल्मों के सेट पर जाता था। उस वक्त बहुत से एक्टर्स के बच्चे फिल्म सेट्स पर आने से कतराते थे। क्योंकि उस ज़माने में आज की तरह वैनेटी वैन्स नहीं होती थी। सेट्स भी एयर कंडीशन्ड नहीं होते थे। लेकिन मुझे तो शूटिंग देखना बहुत पसंद था। मेरे लिए तो वो जैसे एजुकेशन होती थी।
पिता जी तो हमारे साथ बहुत फ्रेंडली थे। लेकिन मां स्ट्रिक्ट थी। पिता जी ने कभी भी हमारे ऊपर हाथ नहीं उठाया। हमारी गलतियों पर वो ठहाके मार-मारकर हंसते थे। हम भी अपनी लिमिट जानते थे। हमने कभी उन लिमिट्स को क्रॉस करने की कोशिश नहीं की।
मैं भले ही अमजद खान का बेटा था। लेकिन मेरे टीचर्स ने कभी भी उसकी वजह से मुझे कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया। मैं जिस स्कूल में पढ़ता था उसका नाम मानेकजी कूपर। वो स्कूल जुहू में था। वहां और भी स्टार किड्स पढ़ते थेे। ट्विंकल खन्ना, रिंकी खन्ना, तेजस्विनी कोल्हापुरे, फरहान और ज़ोया अख्तर, साजिद खान, फराह खान, शरमन जोशी और रानी मुखर्जी, ये सब मेरे ही स्कूल में थे।
मैं तीन साल का था जब मैंने शोले देखी थी। जब पिता जी की पिटाई शोले में होती है तो मुझे बड़ा बुरा लगता था। मेरी मां बताती थी कि मैं रोने लगता था। चिल्लाने भी लगता था। काफी चुप कराने पर भी चुप नहीं होता था। परेशान होकर मेरी मां और दादी मुझे लेकर थिएटर से बाहर ही आ जाती थी। शोले बहुत शानदार फिल्म है। आखिरकार बनाई भी तो एक शानदार डायरेक्टर ने है। और मेरे पिता तो शोले की सबसे बड़ी हाईलाइट हैं।
पिता जी ने शोले और शतरंज के खिलाड़ी में ज़बरदस्त काम किया था। ये ही वो दो फिल्में हैं जिनके लिए उन्हें बहुत तैयारी करनी पड़ी थी। जबकी उस ज़माने में एक्टर्स अपने रोल के लिए रिसर्च करते ही नहीं थे। और आज? आज तो औसत दर्जे के एक्टर्स भी अपने रोल के लिए प्रिपरेशन करते हैं। और फिर लोग उन्हें ग्रेट एक्टर्स कहने लगते हैं। अब तो एनएसडी से ग्रेजुएशन करने पर ही लोग किसी भी एक्टर को ग्रेट एक्टर कहने लगते हैं।

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