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महाभारत को लेकर बहुत सी अपवाह उड़ाई गयी है । कहते है महाभारत को घर मे रखने से घर मे क्लेश हो जाता है । यह अपवाह न जाने किसने उड़ाई, क्यो उड़ाई ?
पहले इसी तरह की अपवाह श्रीमद्भागवतगीताजी को लेकर उड़ाई जाती थी । कि गीताजी पढ़ने वाला सन्यासी हो जाता है । जबकि भगवान की वाणी तो वह है, की शस्त्र त्यागकर सन्यास की बात करने वाले अर्जुन को कर्म में लगा दिया , फिर वह श्रीमद्भागवत गीताजी आपको सन्यास के लिए प्रेरित कैसे कर सकती थी ? गीताजी हो या महाभारत इनके विषय मे अंधविश्वास फैलाने वाले भारत के शत्रु ही रहे होंगे । महाभारत में कहीं नही कहा गया है की इस ग्रन्थ को घर मे नही रखना चाहिए । व्यासजी तो कहते है महाभारत स्वध्याय से एक दिन भी शून्य नही रहना चाहिए । व्यासजी नारायण के ही अवतार है । किंतु दुर्भाग्य देखिए, हम नारायण की न मानकर अपवाहों की अधिक मानते है ।। व्यासजी कहते है महाभारत नित्य स्वाध्याय करना चाहिए, क्यो करना चाहिए, इसका कारण महाभारत महाकाव्य में ही बताया गया है ....महाभारत महाकाव्य के अमुसर
●असीम प्रभावशाली सत्यवती नंदन व्यासजी ने महाभारत नाम के जय इतिहास की कथा 1 लाख श्लोकों में कही है ।।
●महाभारत का वचन है की जो भी महाभारत की कथा का श्रवण या स्वाध्याय करता है, वह मृत्यु के बाद ब्रह्मलोक में जाकर देवताओं के समान हो जाते है ।।
●महाभारत को वेदतुल्य माना गया है । इसकी पवित्रता और महिमा वेद के समान ही है ।। इसमे धर्म तथा अर्थ का पूर्ण रूप से विवेचन है ।।
●जो व्यक्ति सत्यवादी , दानशील और आस्तिक व्यक्ति को वेदस्वरूप महाभारत महाकाव्य का श्रवण करवाता है, वह भ्रूण हत्या जैसे पाप से भी मुक्त हो जाता है । इतिहास का श्रवण करने वाला अत्यंत क्रूर मनुष्य भी राहु से छूटे चन्द्रमा की भांति सब पापों से मुक्त हो जाता है ।

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