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मनु भाकर के बगल मे बैठे इस अंजान शख्स का नाम है जसपाल राणा। 2020 टोक्यो ओलंपिक में जब मनु मेडल जीतने में नाकाम रह गई,तो खेल से जुड़े लोगो ने राणा के कोचिंग मैथड पर सवाल उठाए, इसके बाद मनु और कोच के बीच मनमुटाव इतना बढ़ा कि राणा ने खुद को मनु से अलग कर लिया। तीन साल के दौरान मनु मेंटली इतना टूट चुकी थी कि वो खेल छोड़ने के बारे में सोचने लगी। तीन साल बाद भगवत गीता में लिखी बातो ने मनु को दुबारा हौंसला दिया तो उन्होंने अपने पुराने कोच को फोन किया और जसपाल भी सब भूल कर मनु के साथ मेहनत में लग गए। जसपाल की आलोचना उनके जिस अजीब मेथड के लिए की जाती थी वो ये था कि वो हर खेल से पहले एक टारगेट सेट करते है अपने प्लेयर्स के लिए, और प्लेयर उस टारगेट से जितने प्वाइंट दूर रह जाते है, उसकी सौ गुना रकम उसे दान करनी पड़ती है। कई लोगो को जसपाल का ये तरीका नापसंद था, इसलिए जब टोक्यो ओलंपिक में मनु हारी तो उसके बाद जसपाल को कही नौकरी नहीं मिली। जसपाल अभी भी बेरोजगार है, और उम्मीद कर रहे है कि शायद भारत लौटने पर उन्हे कोई नौकरी का ऑफर मिल जाए। जसपाल ने कोचिंग का तरीका नही बदला है, पर इसी तरीके से वो पिछले ओलंपिक के विलेन थे, और इस ओलंपिक में हीरो। क्युकी ये दुनिया सिर्फ नतीजे देखती है, नियत नही।इसलिए आप जो कर रहे है,अगर नियत साफ है तो नतीजा जो भी आए बस चुपचाप करते रहिए, एक न एक दिन गाली देने वालो को ताली बजाने पर मजबूर होना ही पड़ेगा।

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