बांग्लादेश में इस्लामी लुटेरे हिंदुओं का नरसंहार करके भी नहीं रुक रहे अभी,

वे हिंदू बालिकाओं के शरीर को सार्वजनिक रूप से नोंच रहे हैं, घर जला रहे हैं, जिहादी फौज हिंदुओं को मार-मार कर कलमा पढ़ा रही है।

वैसे ही जैसे 1400 वर्ष पूर्व मुहम्मद के समय जिहादी अरब के मूर्तिपूजकों एवं यहूदियों की महिलाओं को बलपूर्वक पकड़कर लौंडी (सेक्स-स्लेव) बनाते थे, काफिरों (गैरमुस्लिमों) के कबीले पर हमला करते थे और तलवार के पर लोगों को मुसलमान बनाते थे।

इस्लाम का तथाकथित अल्लाह काफिरों अर्थात मूर्तिपूजकों, यहूदियों, ईसाइयों एवं सभी गैरमुस्लिमों की महिलाओं को बलपूर्वक पकड़ कर लौंडी बनाने की अनुमति देता है, काफिरों को वाजिबुल कत्ल (हत्या किए जाने योग्य) बताता है। कुरआन एवं हदीसें इससे संबंधित आयतों एवं सुन्नत से भरी पड़ी हैं।

यह राक्षसी दीन ऐसा ही रहेगा। इसका अंत होना आवश्यक है, तभी विश्व से दानवी मानसिकता समाप्त होगी।
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