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अपनी जड़ों की खोज! कांग्रेस की जड़ स्वतंत्रता संग्राम और देश की स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड के महावीरों ने आगे-आगे बढ़कर भाग लिया और कुर्बानी दी। ऐसे एक कुर्बानी के स्थल देघाट, खल्डुआ की ओर मैं प्रस्थान कर रहा हूं। 9 अगस्त को मुंबई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का और 19 अगस्त को गढ़वाल-कुमाऊं के दुसान में जहां न सड़क थी, न उस समय कोई संचार का माध्यम था, लोग निकल पड़े और उद्घोष किया अंग्रेजों भारत छोड़ो और तिरंगा हाथ में लेकर अपना बलिदान दिया, उन बलिदानों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने मैं अपने साथी श्री गोविंद सिंह कुंजवाल, श्री प्रदीप टम्टा, श्रीमती गंगा पंचोली, श्री आनन्द रावत के साथ प्रस्थान कर रहा हूं।
25 अगस्त को जैंती के धाम देवल में शहीदों का मेला लगेगा, 2 सितंबर को चनौदा में और 5 सितंबर को खुमाड़ में और मैं प्रयास कर रहा हूं कि पांचों जगह श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचूंगा और कांग्रेसजनों से कहना चाहता हूं कि अपनी जड़ों को सीचना है जो जहां संभव है वहां पहुंचे। आज जब लोग स्वतंत्रता के इतिहास को मिटाना चाह रहे हैं, जब लोग कांग्रेस के इतिहास को मिटा देना चाहते हैं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सचेष्ट भुलाने की कोशिशें हो रही हैं तो ऐसे समय में हमको अपने उन इतिहास के पन्नों के साथ उत्साहपूर्वक जुड़ना है।
।।भारत के स्वतंत्रता संग्राम की जय।।

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