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आज बात भारत के पहलवान योगेश्वर दत्त की, जिन्होंने साबित किया कि इस दुनिया में मानवता सर्वोपरि है। योगेश्वर दत्त ने 2012 लंदन खेलों में 60 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता था। उन्हें सेमीफइनल में रूसी पहलवान बेसिक कुदुखोव से हार मिली थी। बाद में कुदुखोव डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए थे, जिस वजह से योगेश्वर दत्त का पदक रजत में अपडेट किया जाना था। लेकिन तबतक कुदुखोव की मौत हो चुकी थी। ऐसे में सिल्वर मेडल को लेने से मना करते हुए योगेश्वर दत्त ने कहा था कि "अगर हो सके तो ये मेडल उन्हीं के पास रहने दिया जाए। उनके परिवार के लिए भी सम्मानपूर्ण होगा। मेरे लिए मानवीय संवेदना सर्वोपरि है।" आज जब खेलों में नैतिकता की बात होती है, तब ऐसे नेक दिल खिलाड़ी पर सारा भारत गर्व करता है। योगेश्वर दत्त की दरियादिली पर अपनी प्रतिक्रिया दीजिए। ♥️

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