यदि आपने कुछ श्रेष्ठ पाने की ठान ली तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी आपसे परास्त होकर चली जायेंगी ये भी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख सीखों में एक है।
कारागार में जन्म लेने वाले कृष्ण यूँ ही द्वारिकाधीश नहीं बन जाते , उसके लिए पूतना, तृणावर्त, अघासुर, बकासुर, व्योमासुर, चारूण, मुष्टिक और कंस जैसी जीवन की तमाम प्रतिकूलताओं, विघ्न - बाधाओं और बवंडरों का सदैव डटकर सामना भी करना होता है।
जन्म भले कितनी ही प्रतिकूलताओं में हुआ हो लेकिन आपके सतत प्रयास और निरंतर कुछ श्रेष्ठ करने की चाह आपको सम्राट की पदवी पर आसीन कर देती है।
आपका लक्ष्य श्रेष्ठ है तो आपके प्रयास भी अतिश्रेष्ठ होने चाहिए।
दृढ़ इच्छाशक्ति, उच्च आत्मबल और समर्पित भाव से अपने लक्ष्य की ओर निरंतर गति ही कारागार में जन्में उन श्रीकृष्ण की तरह हमें भी जीवन की तमाम समस्याओं से उभर कर द्वारिकाधीश बनने की प्रेरणा प्रदान करती है।
हरे कृष्ण🙏🏻