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जब विश्वामित्र श्री राम को ले जाने हेतु अयोध्या आते हैं तो दशरथ पूछते हैं की आप मेरे बेटे राम को ही क्यों ले जाने आये हैं किसी और को भी ले जा सकते हैं, इसकी उम्र ही क्या है अभी तब विश्वामित्र कहते हैं कि
यौवनं धन संपत्ति: प्रभुत्वमविवेकिता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम्।।
मतलब जवानी, धन-संपत्ति, प्रभुत्व (अधिकार) और बुद्धिमत्ता। ये चारो में से कोई एक भी किसी के पास आ जाए तो मनुष्य को अहंकार हो जाता है, अनर्थ हो जाता है और अगर चारो आ जाए तो महानर्थ। और ये चारों आपके बेटे के पास है बावजूद इसके वो विनम्र है फिर भी वो आम मनुष्यों में भी खुद की देखते हैं इसलिए वो विशिष्ट है।
ये गुण ही राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम बनाता है।
जय सिया राम।

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