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शंकर सुत हे विश्वमुख,हे गणराज विशाल।
विघ्न हरो विघ्नेश तुम,हे प्रभु दीनदयाल।।
हे प्रभु दीनदयाल ,आप हैं विघ्न विनाशक।
प्रथम पूज्य गणराज ,आप हैं आत्म प्रकाशक।
बालक से हैं सौम्य ,आप सबके अभयंकर।
चरणों में मम शीश ,करो रक्षा सुत शंकर।।

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