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आज #हिमालय_दिवस है। विश्व की सारी गाथाओं का स्तंभ हिमालय, जब हम हिमालय बचाओ कहते हैं तो वस्तुतः हम अपने आपको बचाने की गुहार लगाते हैं। हिमालय तो शाश्वत रहेगा, मगर हम नश्वर हैं। यदि हमें एक अच्छी जिंदगी जीनी की तलाश है तो वह तलाश केवल हिमालय ही पूरी कर सकता है। मगर हिमालय को प्रसन्न रखना आवश्यक है। जब हिमालय गुस्सा होता है तो उसका परिणाम हम सबने देखा है। हम संकल्प लें कि कोई ऐसा कृत्य नहीं करेंगे जो हिमालय को क्रोधित करता हो या उसे नाराज करता हो। वर्ष 2014 में श्री हर्ष डोभाल और श्री किशोर उपाध्याय जी, हिमालय दिवस का आईडिया लेकर मेरे पास आए थे तब राज्य सरकार के रूप में हमें हिमालय दिवस मनाने का सौभाग्य मिला था। मैं, श्री हर्ष डोभाल को इस बुद्धिमत्तापूर्ण सुझाव के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। आज हिमालय एक जन आंदोलन है, कुछ हिमालय बचाओ के रूप में इस आंदोलन का हिस्सा हैं, कुछ हिमालय को संरक्षण देने की प्रतिज्ञा के साथ इस आंदोलन का हिस्सा हैं तो कुछ लोग हिमालय हमारा जीवन, इस अभियान के साथ जन आंदोलन का हिस्सा हैं, सभी लोगों को उनके स्तुत्य प्रयासों के लिए मैं बहुत बधाई देता हूं।
#uttarakhand

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