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*दीन सबन को लखत है, दीनहिं लखे न कोय ।*
*जो रहीम दीनहिं लखौ‚ दीन बंधु सम होय ।।*

✍ दुनिया की रीति के अनुसार, हम सभी अपने बड़े से कुछ पाने की उम्मीद रखते हैं ।
✍ लेकिन तथाकथित अधिकांशतः बड़े लोग उनकी तरफ ध्यान नही देते हैं ।
✍ दुख-मुसीबत आने पर अधिकांशतः तथाकथित बड़े तो जानना भी पसंद नही करते कि कहीं जेब न ढीली करनी पड़ जाए ।
✍ परन्तु तथाकथित दीन (गरीब) लोग तन-मन-धन से किसी की भी सेवा हेतु सदैव तैयार रहते हैं ।
✍ हमे समझ लेना चाहिए कि वास्तविकता में हमे किससे संबंध प्रगाढ़ रखने चाहिए ।

*आज दिनाँक 5 सितम्बर, 2024 गुरुवार की पावन मंगलबेला में, वास्तविकता को समझ, दीनबंधु बनने का संकल्प लेते हुए, नित्य की भाँति आपको मेरा "राम-राम" ।*
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🚩 *व्यस्त रहेंगे -तो मस्त रहेंगे* 🚩
🚩 *मस्त रहेंगे -तो स्वस्थ रहेंगे* 🚩
🚩*सनातन हिन्दू एकता* 🚩

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