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एक हाथ से अपनी तकदीर खुद लिखने वाले अजीत सिंह ने जेवलिन थ्रो में कई पदक जीतकर न केवल अपना, बल्कि देश का भी नाम रोशन किया है। अजीत सिंह का जीवन संघर्ष और मेहनत की एक प्रेरणादायक मिसाल है। जब उन्होंने एक हाथ खो दिया, तब भी उन्होंने हार मानने के बजाय खेलों में अपनी छाप छोड़ने का फैसला किया। उनकी यह यात्रा असाधारण धैर्य और संकल्प की कहानी है।
अजीत ने जेवलिन थ्रो को अपना लक्ष्य बनाया और कठिन अभ्यास के साथ खुद को इस खेल में उत्कृष्ट किया। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते, जिनमें एशियाई खेलों और विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उनके प्रदर्शन को खूब सराहा गया। उनकी अद्वितीय क्षमता और मेहनत ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई। 2024 के पेरिस पैरालंपिक में, अजीत सिंह ने अपने प्रदर्शन से एक बार फिर देश को गर्वित किया। उन्होंने जेवलिन थ्रो में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। यह पदक न केवल उनके अथक परिश्रम का परिणाम था, बल्कि यह देश के लिए गर्व का विषय भी बना। अजीत सिंह की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि आप मेहनत और संकल्प के साथ आगे बढ़ें, तो कोई भी बाधा आपके सपनों को रोक नहीं सकती।

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