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कौए का रहस्य और पितृपक्ष .....
कौए के संबंध में पुराणों बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई है मान्यता है की कौआ अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरो का आश्रम स्थल माना जाता है।

हमारे धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने देवताओ और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था. यही कारण है की कौआ की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती. यह पक्षी कभी किसी बिमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता. इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से होती है।

यह बहुत ही रोचक है की जिस दिन कौए की मृत्यु होती है उस दिन उसका साथी भोजन ग्रहण नहीं करता. ये आपने कभी ख्याल किया हो तो यह बात गौर देने वाली है की कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता यह पक्षी अपने किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है।

कौआ की लम्बाई करीब 20 इंच होता है, तथा यह गहरे काले रंग का पक्षी है. जिनमे नर और मादा दोनों एक समान ही दिखाई देते है. यह बगैर थके मिलो उड़ सकता है. कौए के बारे में पुराण में बतलाया गया है की किसी भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पूर्व ही हो जाता है।

पितरो का आश्रय स्थल श्राद्ध पक्ष में कौए का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है . इस पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौआ को भोजन कराता है तो यह भोजन कौआ के माध्यम से उसके पीतर ग्रहण करते है। शास्त्रों में यह बात स्पष्ट बतलाई गई है की कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है।

भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है. ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं. कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है. इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।

कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन ....

यदि आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हो कौआ को भोजन करना चाहिए।
यदि आपके मुंडेर पर कोई कौआ बोले तो मेहमान अवश्य आते है।
यदि कौआ घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझे जल्द ही आप पर लक्ष्मी की कृपा होने वाली है।
पश्चिम दिशा से बोले तो घर में मेहमान आते है।
पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।
दक्षिण दिशा से बोले तो बुरा समाचार आता है।
कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है।

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