भीगे कागज़ की तरह कर दिया तुमने मेरी ज़िंदगी को, ना लिखने लायक छोड़ा, ना जलने लायक।
तुम्हारे प्रेम की बारिश में घुलता रहा मैं, हर लफ़्ज़ धुंधला, हर ख़्वाब अधूरा।
काश, इन यादों को प्रेम की नहीं, पेट्रोल की बारिश में भिगोया होता, कम से कम, जलने का सुकून तो मिल जाता।