कभी एक शाम हुआ करती थी, जब साथ में चाय पीते थे, अब तो हर घूंट में तेरी यादों के बादल घिर आते हैं।
वो लम्हे जो बेमोल थे, अब खामोशियों में सिमट जाते हैं, चाय की भाप में तेरे चेहरे के नूर का अक्स नजर आता है।
तू नहीं, पर तेरी खुशबू आज भी हर चुस्की में समा जाती है।