पोलिटिकल पार्टीज सरेआम अपराधियों के एनकाउंटर पर छाती पीट रहीं हैं! पुलिस के ऊपर सवाल उठा रही हैं... और अपराधियों की जाति की बात भी कर रही हैं!
चलो मान भी लें .. एनकाउंटर फ़र्ज़ी था... अपराधी तो असली ही था न?
न गोली मारते उसको तो पचास वकील मिल जाते बच्चियों से बलात्कार के आरोपी का केस लड़ने को भी.... फिर दयालु हिरदय सर्वज्ञानी मीलॉर्ड उनको ज़मानत दे देते... वो बाहर आ कर और भी जघन्य अपराध करते और पचास साथ गंभीर अपराधों के बाद भी शान से बाहर घूमते.
दस बीस साल में भी अदालत केस नहीं निबटा पातीं.. अब न्याय तो हो गया न ?
आम जनता से पूछो.. ज्यादातर खुश होंगे.
अदालतों में न्याय मिलेगा इसपर कौन विश्वास करता है जनाब... न्याय तो एनकाउंटर होने पर हुआ.
हैदराबाद वाला न्याय याद है न?
चारों बलात्कारी हत्यारों का एनकाउंटर हुआ और पूरा देश खुश हुआ.
न्याय होना भी चाहिए और होता हुआ दिखना भी चाहिए.
यूपी और महाराष्ट्र के पुलिस वालों को धयवाद और वहां के मुख्यमंत्रियों को भी.