जब आप दूसरे के प्रति शर्त रहित सम्मान के भाव से भर जाते हैं। प्रेम तब होता है, जब आपका सीमित 'मैं' खत्म होकर उस व्यापक 'मैं' में विलीन होता जाता है, जहां 'मैं' के बोध का अस्तित्व ही नहीं रहता। जब आप प्रेम में होते हैं, तो ओस की हर बूंद, पेड़ का हर पत्ता और धरती का हर कण जान लेता है कि आप प्रेम में हैं
: जे कृष्णमूर्ति