"अथिति देवों भवः"
अतिथि देवो भव' परंपरा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह संस्कृति की आदर्श और सजीव व्यक्तिगतता को प्रकट करती है। यह मानवता की सहानुभूति, संवेदनशीलता, और समृद्धि की भावना को प्रोत्साहित करती है। अतिथि का सम्मान करना एक संस्कृतिक और नैतिक दायित्व है जो समाज को समृद्ध और संबलित बनाता है 🚩
हमारा देश भारत सभ्यता संस्कृति परंपरा भाषाएं, साधु संतों और आयुर्वेद के लिए जाना जाता है। हमारे देश का इतिहास बहुत पुराना है करोड़ों वर्षों का...🚩
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