साल 1893 में, स्वामी विवेकानंद वर्ल्ड रिलीजन कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने के लिए अमेरिका जा रहे थे. उस समय जमशेदजी टाटा भी उसी एसएस इम्प्रेस ऑफ़ इंडिया शिप पर सवार थे.
उस वक्त स्वामी विवेकानंद जी की उम्र 30 साल और जमशेदजी टाटा की उम्र 54 साल थी
लेकिन जमशेदजी टाटा युवा संन्यासी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुए
इस यात्रा के दौरान दोनों ने काफ़ी समय साथ बिताया.
इस मुलाकात से जमशेदजी टाटा काफ़ी प्रभावित हुए और उन्होंने शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में कई काम किए.
जमशेदजी टाटा ने स्वामी विवेकानंद से भारत में एक रिसर्च इंस्टीट्यूट खोलने के लिए मदद मांगी.
स्वामी विवेकानंद ने जमशेदजी को बताया कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र करने से भारत आत्मनिर्भर बन सकता है और युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा.
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस टाटा ने विवेकानंद जी के कहने पर खोला था
जमशेदजी टाटा ने भारत में स्टील इंडस्ट्री लाने का सपना देखा था. इसी से प्रेरित होकर, टाटा स्टील की स्थापना हुई और जमशेदपुर में पहली फैक्ट्री लगी.
टाटा समूह ने 1909 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) की स्थापना की थी. यह आज दुनिया के प्रमुख शोध संस्थानों में से एक है.