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क्रमशः-
मिस्र से लेकर ईरान तक यह वह देश हैं। जिनकी जनता ने इस्लाम ग्रहण नहीं किया था। उनके शासकों ने भय से इस्लाम ग्रहण किया। फिर जनता मुस्लिम हो गई।
अब उस प्राचीन सभ्यता को देखिये जिसके प्रथम शासक जिन्होंने मुहम्मद कासिम से युद्ध किया था। राजा दाहिर का पूरा परिवार मार दिया गया लेकिन उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया।
आज भारत इस्लामिक देश नहीं है। लेकिन इसके ऊपर सबसे अधिक इस्लामिक आक्रमण हुये थे। जितने भी खूंखार इस्लामिक आक्रमणकारी थे उन्होंने निरंतर हजार वर्षों तक आक्रमण किया। एक बहुत बड़े भूभाग पर शासन भी किया। लेकिन ऐसा कोई दिन नहीं बीता होगा जब उन्हें युद्ध न करना पड़ा हो।
संसार मे एक ही रात में जितने भी बड़े कत्लेआम हुये हैं। उसमें दूसरा भारत मे हुआ था। पहला हलाकू खान का बगदाद पर हमला है। जिसमे उसने एक ही रात में 60 हजार लोगों को मार दिया। लेकिन हलाकू कोई मजहब जंगजू नहीं था।
दूसरे बड़े कत्लेआम कि कहानी में भारत का संपूर्ण संघर्ष छिपा है। यह काम उस मुगल ने किया था। जिसको उदारमना बना दिया गया।
अकबर ने 1567 में चितौड़ गढ़ किले पर हमला किया। अक्टूबर 1567- फरवरी 1568 पाँच महीने के निरंतर युद्ध के बाद भी वह किले के अंदर घुस न सका।
8000 राजपूत 40000 हजार किसान उस किले में थे। लाखों कि मुगल सेना के सामने राजपूत डटे रहे। इतने लंबे समय तक घेराबंदी का मुकाबला अन्यत्र नहीं मिल सकता है।
इन सबके बीच उन्होंने अपना धर्म नहीं त्यागा। दुर्भाग्य से एक गोली राजपूतों के सेनानायक को लग गई। इसके उपरांत एक रात्रि में सबसे बड़ा कत्लेआम हुआ। 40 हजार लोग मारे गये। जौहर से आसमान धुँए से भर गया।
ध्यान रहें सिर कट गये लेकिन अपना धर्म नहीं त्यागा।
वेदों ने कहा है कि राजा, भगवान विष्णु का प्रतिनिधि होता है जो लोककल्याण करता है। जब राजा ने धर्म को नहीं त्यागा तो जनता कैसे त्याग सकती है।
इस पर तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। लेकिन एक सत्य अकाट्य है। थका देने वाले संघर्ष, युद्ध, अत्याचार के बाद भी। सनातन शासकों ने अपना धर्म नहीं त्यागा। उसी के साथ उन राजाओं ने भी जो मुगलों के साथ मित्रवत भी हुये लेकिन अपने
धर्म की सेवा करते रहे। संभव यह उनकी रणनीति रही हो जिससे मंदिरों , धर्म कि रक्षा हो सके।
राजा राज सिंह को जानते होंगें। जिन्होंने औरंगजेब के अत्याचार से भागे मथुरा के गोविंद मंदिर के पुजारियों को शरण दिया था। जब औरंगजेब ने उत्तर भारत मे मंदिर तोड़े तो राजा राज सिंह ने अपने पुत्र को भेजकर गुजरात में 125 मस्जिदें तोड़वा दिया।
शिवाजी महाराज औरंगजेब को संदेश भेजे यदि तुम्हारे में ताकत है तो राणा राज सिंह से जजिया कर लेकर दिखा दो।
हम सब भूल गये या यह सब प्रयोजित करके किया गया। कोई राष्ट्र कैसे आगे बढ़ेगा जो अपने पूर्वजों के बलिदान को भूल जाय।।
✒Ravishankar Singh 🧡🙏

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