वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री जी लिखते हैं कि #बहराइच में हलाल किये गए गोपाल मिश्रा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पैशाचिकता का दस्तावेज है, उसकी देह में 35 छर्रे पाए गए ,गोली मारने से पहले उसके नाखून उखाड़े गये,करंट लगाया गया,आंखों और गले पर नुकीली चीज से हमला किया गया, उसके सर और माथे पर घायल किया गया।

जो हमारे लिए पैशाचिकता है वही उनके लिए सबाब का काम है जो उन्हे जन्नत तक ले जाएगा। हलाल उनके यहां पुण्य माना गया है। सीरिया, तालिबान, बोकोहराम हर जगह एक ही पैटर्न है, गला रेत कर के, तड़पा के मारो।

कमलेश तिवारी, कन्हैयालाल, अंकित शर्मा, चंदन का पैटर्न देख लीजिए, वही पैटर्न राम गोपाल मिश्रा में आपको दिखेगा।

क्या उस संस्था, संदर्भित लिटरेचर को सरकार बैन करेगी या इन्हे कत्ल करने की खुली छूट मिलती रहेगी।

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