किसान का बेटा जीवन जी नहीं रहा है शहर की गलियो से लेकर सेठो की फ़ैक्ट्रियों में पीस रहा है।कलेक्टर अपने बेटे को कलेक्टर बनाना चाहता है,मास्टर अपने बेटे को मास्टर नेता अपने बेटे को अधिकारी ओर डाक्टर अपने बेटे को डाक्टर बनाना चाहते हैं फिर किसान अपने बेटे को किसान क्यों नहीं बनाना चाहते।क्या किसानी इतनी ख़राब है।जबकि हमारे यहाँ कहावत है की उतम खेती,मध्यम व्यापार ओर खराब नौकरी।