एक पैर नहीं है फिर भी बहन ने देश के दोड़ में मेडल जीता है बधाई नहीं दोगे
दिसंबर 2011 की एक रात, किरण कनौजिया फरीदाबाद अपने घर जा रही थीं, उत्साहित थीं क्योंकि 25 दिसंबर को अपने परिवार के साथ अपना जन्मदिन मनाने वाली थीं। 🎉🎂 उन्होंने अपना बैग कंधे पर डाला और ट्रेन के दरवाजे पर बैठ गईं। लेकिन अगले कुछ पलों में उनकी जिंदगी पूरी तरह बदलने वाली थी।
किरण को याद है कि दो लड़कों ने उनके बैग को छीनने की कोशिश की और उन्हें ट्रेन से बाहर धकेल दिया। वह चीखते हुए पटरियों पर गिर पड़ीं, ट्रेन रुक गई। उन्होंने हिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अपना बायां पैर महसूस नहीं हुआ। अपने जन्मदिन की पूर्व संध्या पर किरण अस्पताल के बिस्तर पर लेटी थीं और ‘पैर बचाने’ के बारे में बातचीत सुन रही थीं। तभी उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने क्या खो दिया है। 😢💔
“मैं सोच रही थी, ‘मुझे अपने जन्मदिन पर बधाई मिलनी चाहिए, न कि अपने अंग को काटने की स्वीकृति देने के लिए सहमति पत्र।’ लेकिन मैंने उस पर हस्ताक्षर कर दिए।” 🖋️😔
आज, 28 वर्षीय किरण एक चैंपियन ब्लेड रनर हैं और इस भयावह दुर्घटना ने उनकी यात्रा को गति दी। किरण हैदराबाद में इंफोसिस में काम करती हैं और उनके माता-पिता फरीदाबाद में ठेले पर कपड़े प्रेस करने का छोटा सा व्यवसाय