विनायकन का नाम दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक ऐसे अभिनेता के रूप में दर्ज है, जो अपनी दमदार अदायगी और अनोखे अभिनय के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी शुरुआत फिल्मी सफर में संघर्षों से भरी रही, पर उनके अभिनय कौशल ने उन्हें ऐसे ऊँचाई पर पहुँचा दिया जहाँ वे अलग-अलग प्रकार के किरदार निभाने में सफल रहे। वरुथन और थिम्मिरु जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने नेगेटिव रोल्स से भी अपनी छाप छोड़ी। विनायकन का करियर भारतीय सिनेमा में उन गिने-चुने कलाकारों में से एक है, जो अपने अभिनय के दम पर किसी भी किरदार में जान डाल देते हैं। चाहे वह खलनायक हो, देशभक्ति से प्रेरित एक ताकतवर किरदार, या एक असहाय व्यक्ति का संघर्षपूर्ण किरदार हो, विनायकन हर रूप में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
उनकी कम्मत्तीपादम में की गई अदाकारी ने उन्हें वास्तविक अभिनय का प्रतीक बना दिया। इस फिल्म में उन्होंने गंगा का किरदार निभाया, जो उन्हें प्रतिष्ठा दिलाने में मददगार साबित हुई। उनकी इस भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार भी मिला। विनायकन की अदाकारी में एक सादगी, सच्चाई, और गहराई है जो कि किसी भी सामान्य किरदार को असाधारण बना देती है। अंड्रेमल जैसी फिल्मों में उनकी बेबाकी से भरी परफॉरमेंस ने दर्शकों को यह अहसास कराया कि वे सिनेमा के हर पहलू में पूर्णता के साथ उतर सकते हैं। विनायकन अपने किरदारों में इतनी ईमानदारी से उतरते हैं कि दर्शक किरदार के साथ पूरी तरह से जुड़ जाते हैं।
उनकी शख्सियत में एक बेबाक अंदाज है, जो उनके काम में भी झलकता है। विनायकन का मानना है कि अभिनय कोई दिखावा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है जिसे व्यक्ति हर बार अपने में नए रूप में ढालता है। वे एक स्पष्टवादी और निष्पक्ष व्यक्ति हैं, जो अपनी कला और अभिनय के प्रति गहरा समर्पण रखते हैं। विनायकन अपनी पत्नी के साथ एक सामान्य और सादगी भरे जीवन को प्राथमिकता देते हैं, और उनकी जिंदगी में परिवार और कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
एक बार उनसे पूछा गया कि वह खलनायकी और सकारात्मक किरदारों में क्या फर्क महसूस करते हैं, तो उनका जवाब था, "मुझे हर किरदार अपने हिसाब से गढ़ना पसंद है। अच्छा या बुरा किरदार नहीं होता, बस उसे निभाने का तरीका होता है।" उनका यह उत्तर उनके अभिनय के प्रति गहरे लगाव और उनके खुद को चुनौती देने की आदत को बखूबी दर्शाता है।
दूसरे मौके पर, जब उन्होंने कम्मत्तीपादम के अपने अनुभव के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा, "यह किरदार मेरे लिए केवल एक भूमिका नहीं थी, यह मेरे अपने जीवन का एक हिस्सा बन गया था। गंगा के दर्द और संघर्ष को मैंने जिया, और मेरे लिए यह एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे बतौर कलाकार और इंसान बहुत कुछ सिखाया।"
विनायकन का सफर प्रेरणादायक है। सिनेमा में उनके योगदान और उनकी अभिनय शैली ने भारतीय दर्शकों को यह समझाया है कि एक कलाकार का असली मापदंड उसकी सच्चाई और ईमानदारी है, जो हर भूमिका को जीवंत बना देती है।