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Dhanteras Special: वर्ष में केवल 5 घंटे के लिए होते हैं भगवान धन्वन्तरी के दुर्लभ दर्शन, पूरे भारत की अनूठी प्रतिमा, देश-विदेश से जुटते हैं श्रद्धालु

वाराणसी। काशी के सुड़िया क्षेत्र में स्थित दिवंगत राजवैद्य शिवकुमार शास्त्री के निवास पर स्थापित दुर्लभ अष्टधातु की भगवान धन्वन्तरी की प्रतिमा हर वर्ष केवल धनतेरस के दिन पांच घंटे के लिए दर्शनार्थियों के लिए खोली जाती है। यह भारत की अनूठी प्रतिमा मानी जाती है, जिसे देखने और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां जुटते हैं। मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरी के दर्शन मात्र से व्यक्ति पूरे वर्ष निरोग और स्वस्थ रहता है।
धनतेरस पर होती है विशेष पूजा

धनतेरस के पावन अवसर पर भगवान धन्वन्तरी की पूजा परंपरागत तरीके से की जाती है। इस दिन दोपहर में भगवान का आयुर्वेदिक औषधियों से स्नान करवा कर शृंगार किया जाता है। फिर पांच ब्राह्मणों के द्वारा विशेष पूजा और आरती होती है। परिवार के सदस्य, जिनमें पं. रामकुमार शास्त्री, नंद कुमार शास्त्री, उत्पल शास्त्री, कोमल शास्त्री, आदित्य विक्रम शास्त्री और मिहिर विक्रम शास्त्री शामिल हैं, पूरे विधि-विधान से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। शाम 5 बजे आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोला जाता है, जिससे हर श्रद्धालु भगवान का दर्शन कर प्रसाद ग्रहण कर सके। रात्रि 10 बजे मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है और इसके बाद अगले वर्ष धनतेरस तक यह पुनः नहीं खोला जाता।

धन्वन्तरी भगवान की महिमा और नि:शुल्क चिकित्सा सेवा

हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान धन्वन्तरी समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके इस रूप को काशी में विशेष आदर प्राप्त है, और इसी के साथ धन्वन्तरी निवास पर जरूरतमंदों के लिए नि:शुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा और औषधि प्रदान की जाती है। यहां असाध्य रोगों का आयुर्वेदिक उपचार भी होता है। राजवैद्य शिवकुमार शास्त्री के यहां पूर्व राष्ट्रपति समेत अनेक नेता भी चिकित्सा हेतु आए हैं।

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