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प्रियंका नेगी एक प्रमुख भारतीय कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने खेल कौशल और समर्पण से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बनाई है। 21 मई 1995 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई में जन्मी प्रियंका का झुकाव बचपन से ही कबड्डी की ओर था। उन्होंने अपने स्कूल के दिनों से ही इस खेल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था, और उनकी लगन ने उन्हें कबड्डी के क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रियंका नेगी की शुरुआती पढ़ाई शिलाई के स्कूल में हुई, जहां उन्होंने पहली बार कबड्डी खेलना शुरू किया। उनके प्रशिक्षक हिरे सिंह, जो उस समय स्कूल में पीटीआई थे, ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिरे सिंह के मार्गदर्शन में प्रियंका ने स्कूल स्तर पर अपनी टीम की कप्तानी की। 2006 में, वह बिलासपुर के खेल होस्टल में कबड्डी की पेशेवर ट्रेनिंग के लिए गईं, जहाँ से उनके करियर की नई शुरुआत हुई।
प्रियंका नेगी का करियर तेजी से आगे बढ़ा, और 2011 में उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, 2012 में पटना में आयोजित पहले महिला कबड्डी विश्व कप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। 2013 में चीन में हुए तीसरे एशियाई बीच खेलों में भी प्रियंका ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उनकी इन उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय महिला कबड्डी टीम की प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल कर दिया।
प्रियंका नेगी की मेहनत और खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं। 2012 में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित परशुराम पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही, प्रियंका नेगी ने खेल के साथ-साथ अपने करियर में भी सफलता हासिल की और हिमाचल प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुईं। 2017 में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के कारण उन्हें इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया।
प्रियंका नेगी का सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो खेल के क्षेत्र में अपना नाम बनाना चाहते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि समर्पण और कड़ी मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। प्रियंका की उपलब्धियाँ यह भी दर्शाती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली प्रतिभाएँ भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमक बिखेर सकती हैं। उनकी यात्रा न केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी की है, बल्कि यह भी सिखाती है कि आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।

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