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बधाई हो ❤️🌺🇮🇳
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए. यह भारत और पूरी दुनिया के लिए राहत की बात है. पूरी दुनिया पर वामपंथी साया छाते छाते रुक गया... कम से कम कुछ समय के लिए.
लेकिन वामपंथ कभी विश्राम नहीं करता... The Devil never sleeps. तो यह युद्ध सतत चलता रहेगा.
लेकिन एक वैलिड प्रश्न लोग हमेशा पूछते हैं... ट्रम्प भी आएगा तो वह अमेरिका के हित में काम करेगा. उससे हमें क्या फायदा?
यहां हमें ट्रम्प और वामपंथियों के बीच का महत्व का अंतर समझना होगा. ट्रम्प का ड्राइविंग फोर्स निजी हित (या इस केस में अमेरिका का निजी हित) है. वामपंथियों का इंस्पिरेशन आइडियोलॉजी है. आप किसी के हितों से नेगोशिएट कर सकते हैं. बार्गेन कर सकते हैं, ऐसे उपाय खोज सकते हैं जिनमें दोनों के हित सुरक्षित रहें या कम से कम एक बेस्ट डील पर पहुंच सकते हैं.
पर आप आइडियोलॉजी से नेगोशिएट नहीं कर सकते. उन्हें हर कॉस्ट पर अपनी आइडियोलॉजी चलानी है... आपका नुकसान कर के, अपना नुकसान उठा कर भी. यह कुछ ऐसा अंतर है कि आप एक व्यापारी से नेगोशिएट कर सकते हैं, एक हत्यारे से नहीं.
ट्रम्प व्यापारी है, अपने मोदीजी उससे बड़े व्यापारी हैं. कुल मिलाकर एक डील, या एक पार्टनरशिप बन सकती है. कैमिला हैरिस जीतती तो वही स्थिति होती जो आज कनाडा में टुडू के साथ है.
वामपंथियों का पराजय आवश्यक है।

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