मध्य प्रदेश के डिंडोरी के छोटे से गाँव की दुर्गा बाई व्योम कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन गोंड कला में माहिर होकर अपनी अलग पहचान बनाई। सिर्फ छह साल की उम्र से चित्रकारी शुरू करने वाली दुर्गा ने अपनी कला को नई ऊंचाई दी। अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्होंने झाड़ू-पोंछा तक का काम किया। आज वे पद्म श्री सम्मान से नवाजी गई हैं और देश-विदेश में आदिवासी कला को पहचान दिलाई है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है।