राहुल गांधी के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।
राहुल गांधी ने दस समाचार पत्रों में लेख लिखकर बताया है कि “अंग्रेजों ने कैसे तलवा-चाट राजा महाराजाओं को घूस देकर या डराकर भारत पर राज क़ायम किया।”
लेकिन वे यह बताना भूल गए कि उस समय उनके अपने पुरखे क्या कर रहे थे। या हो सकता है कि उनको पता ही न हो।
राहुल के पूर्वज यानी मोतीलाल नेहरू के दादा लक्ष्मी नारायण तब मुग़ल दरबार में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील थी। यानी ब्रिटिश शासन स्थापित करने में वे नींव की ईंट थे।
लक्ष्मी नारायण के पुत्र यानी मोतीलाल के पिता गंगाधर मुग़लों के शासन में दिल्ली के कोतवाल यानी आज के हिसाब से पुलिस कमिश्नर थे।
जब 1857 में अंग्रेजों की तोपें चली तो गंगाधर परिवार समेत भागकर आगरा चले गए। वहीं उनके निधन के बाद पुत्र मोतीलाल का जन्म हुआ। मोतीलाल जी ने ब्रिटिश कोर्ट में वकालत शुरू की।
स्रोत है कांग्रेस का अपना लिखा हुआ इतिहास।
राहुल के पुरखों ने मुग़लों और अंग्रेजों दोनों की सेवा की है।
आज़ादी के बाद लगभग सारे बड़े राजा महाराजा और नवाब, जो राजनीति में आना चाहते थे, कांग्रेस के सांसद बने।
वैसे भी पुरखों के दोष के लिए अब किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ये न भूलें कि भारत के एकीकरण में सभी हिंदू राजा पहले और दूसरे ही दौर में सहमत हुए। आख़िर तक विरोध हैदराबाद, जूनागढ़ और भोपाल के नवाबों का था।
एकीकृत भारत बनाने में पूर्ववर्ती शासकों की भी भूमिका है। 🙏🏽