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मित्रों मैं नहीं जानता की आधुनिकता के इस अग्रेजी दौर में मेरी बात आपको सही लगेगी या
दक़ियानूसी विचार ?
आप जन्मदिन जैसे भी मनाये पर मेरा व्यक्तिगत विचार है, की हमे अपने जन्मदिन पर सनातनी परम्परा को नही भूलना चाहिए l
आप सफलता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए अपने जन्म दिन पर चाहें तो यह कार्य अवश्य करें
आप अपने जन्मदिवस पर जल्दी उठें
स्नान आदि करके अपने माता-पिता का व बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें, जिसे आज की युवा पीढ़ी भूलती जा रही है l

घर में घी का दीपक, घूपवत्ती जलाकर कुछ देर प्रार्थना करें और भगवान से अपने सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद मांगे
मंदिर जाएं भगवान को प्रसाद चढ़ाये
आप अपनी आयु के बराबर लड्डू फल आदि भी चढ़ा सकते हैं मान लीजिये आप आयु 21 वर्ष है तो 22 लड्डू चढ़ा दें आप प्रसाद के रूप केवल एक लड्डू लें बाकी मंदिर में छोड़ दें या बाट दें l

आप मंदिर में शिवालय में अपनी आयु के बराबर दीपक जला सकते है , बेल पत्र भी चढ़ा सकते है

आप अपने वजन के बरावर आटा, चावल या अन्य कोई वस्तु किसी आश्रम या धर्म स्थान पर दे सकते है अपने सिर से एक नरियल ऊतारकर जल में प्रवाह कर सकते हैं, यदि कोई विपत्ति आने वाली है तो वह टल जाएगी l
यदि सम्भव हो तो गाय को अपने वजन या आयु जितना हरा चारा खिला दें गरीबों को भोजन करा सकते हैं l

पंछियों को भी सतनाजा व चीटियों को आटा भूनकर उसने चीनी मिलाकर दें l
यदि जन्मदिन शुभ अवसर आर्थिक समस्या हो तो विष्णु भगवान या कृष्ण जी को तुलसी पत्र ही अर्पित कर दें, शास्त्रों में कहा भी गया है,
एक तुलसी 56 भोग पर भारी l

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