एक मोबाइल फोन और 7000 रुपये, कैसे इस स्कूली छात्र ने चंद महीनों में बना ली 100 करोड़ की कंपनी

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रिटेश के शक्तिशाली उद्योगपतियों में शुमार एक 19 वर्षीय किशोर जिसे एलेन शुगर के नाम से भी उसके मित्र पुकारते हैं। अब इस स्कूली छात्र की गिनती ब्रिटेन के सबसे युवा अरबपतियों में होती है। वह भी तब जब अपने स्कूल के प्रोजेक्टस और असाइन्मेंटस पूरा कर सभी विषयों में A* और A ग्रेड लाए हैं। स्कूल के लंच ब्रेक के दरम्यान जहाँ दूसरे बच्चे खेल के मैदान में फूटबाॅल और अन्य खेल और मस्ती मे मशगुल रहते हैं, वहीं यह किशोर खामोशी से अपने मोबाईल में बड़ी बड़ी सम्पत्तियों की लेन-देन के लिए सौदेबाजी कर रहा होता है। भारतीय मूल के अक्षय रुपरेलिया doorstaps.co.uk वेबसाईट मात्र 16 महीने पहले तैयार की थी और इस हफ्ते वह ब्रिटेन की 18 बड़ी रियल स्टेट एजेंसी में शुमार हो गई है। अक्षय ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के अरबपति हैं। उनकी कम्पनी का मूल्य 12 मिलियन पौंड (102 करोड़ रुपए) आँका गया है। रुपरेलिया दावा करते हैं कि अपने शुरुआती समय से अबतक उन्होंने 100 मिलियन पौंड (8.6 अरब रुपये) की संपत्तियों का सौदा करवा चुके हैं। उन्होंने स्वयं के लिए 500पौंड की तनख्वाह से आरंभ किया था। जिसे वे अब 1000 पौंड कर लिया है। उनकी कंपनी में 12 लोग काम करते हैं। उन्होंने बचत से अपने माता पिता के लिए एक कार भी खरीदा है। अक्षय के पिता कौशिक (57) राॅयल मेल स्टोरिंग ऑफिस में एक केयर वर्कर हैं और उनकी माँ रेणुका (51) दिव्यांग बच्चों के स्कूल में सहायक शिक्षिका हैं और कैमडेन कौंसिंल में बधिर बच्चों की मदद करती हैं। अक्षय के माता-पिता दोनों ही सुन पाने में असमर्थ हैं। रुपरेलिया को अपनी कंपनी विस्तार के लिए निवेशको नें 5 लाख पौंड की हिस्सेदारी दी है। परेलिया नार्थ लंदन स्थित क्विन एलिजाबेथ, बर्नेट लंदन में पढाई करते हैं। उन्हें स्कूल और काम के बीच संतुलन बना कर चलना होता है। उनके सहपाठी उन्हें ऐलेन शुगर कहते है। ऐलेन शुगर ब्रिटेन के बहुत बड़े पूंजीपति और अप्रेंटिश कार्यक्रम के सितारे रहे हैं। अक्षय की यह एजेंसी जो सम्पत्ति का सौदा करवाती है, वह इस क्षेत्र की अन्य एजेंसीयों की तुलना में बहुत ही छोटे से अंश पर काम करते हैं। कंपनी परिसंपत्तियों के सौदे के लिए महज 99 पौंड का शुल्क लेती है, जहाँ अन्य एजेंसीयाँ 800 से 1000 पौंड तक वसूल करते हैं। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उनसे इस साधारण तरीके ने उसका मूल्य चुकाया है और अबतक उन्होंने 1050 घरों का सौदा कराया है यद्यपि 30 घर प्रति हफ्ते की दर से खरीद-फरोख्त इनके वेबसाईट के माध्यम से होती है। डेली मिरर के अनुसार अब तक का सबसे बड़ा सौदा 1.4 मिलियन पौंड का हुआ है। अक्षय को अपनी वेबसाईट बनवाने के लिए अपने रिश्तेदारों से उधार लेनी पड़ी थी और अंततः 7,000 रुपये से उन्होंने अपने वेबसाईट की शुरुआत की। प्रारंभ में उन्हे काॅल सेंटर की मदद लेनी पड़ी थी अपने उपभोक्ताओं के काॅल को प्राप्त करने के लिए। स्कूल से छूटने के बाद वे उन काॅलों का जवाब दिया करते थे। अक्षय बताते हैं कि कैसे उन्हें अपने पहले उपभोक्ता के पास जाने के लिए अपनी बहन के पुरुष मित्र को 40 पौंड भाड़े पर ले कर जाना पड़ा था। वह व्यक्ति सुसेक्स का रहने वाला था, जहाँ उसने अपने घर को 485,000 पौंड और एक अन्य भू संपत्ति का सौदा 185,000 पौंड में करना चाहता था। उन परिसंपत्तियों की तस्वीरें लेने के लिए अक्षय को वहाँ जाना पड़ा था। उस वक्त उनके पास गाड़ी चलाने का लाईसेंस भी नहीं था। वे 3 हफ्ते में ही उस सौदे को 670,000पौंड में डील करने में सफल रहे। अक्षय अपनी कंपनी की संपत्तियों को बेचने केलिए सेल्फ इम्प्लाॅयड मदर्स के सतत विस्तृत होने वाले नेटवर्क की मदद लेते हैं जो ग्राहकों को प्रापर्टी दिखलाती और बताती है। इसके लिए उन्हें सूट-बूट धारी और महंगे कारों वाले सहायकों की जरुरत नहीं होती। खास बात यह है कि प्रापर्टी बेचने के लिए हजारों पौंड वसूलने की बजाए बहुत कम कीमत पर सौदा तय करती है। अक्षय मानते हैं कि ये मदर्स ईमानदार होती हैं और ग्राहकों को सच्चाई बयान करती हैं जो रियल स्टेट बिजनेस के लिए महत्वपूर्ण है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीकी ओर से उन्हें अर्थशास्त्र और गणित की पढ़ाई के लिए पेशकश किया गया है जिसे अभी उन्होंने लंबित रखा है। चूँकि बिजनेस बढ़िया चल रहा है तो वे अपना सारा समय इसी को देना चाहते हैं।सही मायनो में सफलता की इबारत लिखे जाने के लिए दृढ़ निश्चयी और मजबूत इरादों वाले परिपक्व दिमाग की जरुरत होती है। खुली आँखों और अपने अँदाज में दुनिया देखने वाले अक्षय को उनकी प्रतिभा के लिए सभी तरफ से सम्मान प्राप्त हो रहा है। आज के युवा यदि अपनी क्षमता को समय पर पहचान कर उसके अनुरुप दृढ़ता से कार्य करें हो सफलता निश्चित रुप से उनके कदम चुमेगी। जरुरत है तो अपने अन्दर की काबिलियत को पहचान कर उसे विकसित करने की।

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