हिमाचल के जय चौधरी रोजाना कमा रहा 153 करोड़ रुपये, देश के शीर्ष 10 अमीरों की सूची में हुए शामिल

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<p> दीये और लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करने वाले जगतार उर्फ जय चौधरी अब रोजाना 153 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैैं। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में ऊना जिले के पनोह गांव के जय चौधरी का नाम देश के 10 शीर्ष अमीरों की सूची में शामिल हुआ है। दुनिया के शीर्ष अरबपतियों में भी उनका नाम है। इस लिस्‍ट में पहले नंबर पर मुकेश अंबानी काबिज हैं, जिनकी कुल संपत्ति 7,18,000 करोड़ रुपये है। अमेरिका में बसे 62 वर्षीय जय चौधरी का लिस्‍ट में 10वां स्‍थान है। उनकी साइबर सिक्योरिटी फर्म जी स्कैलर में 42 फीसद हिस्सेदारी है। अमेरिका, जापान सहित कई देशों में कंपनी के कार्यालय हैं। भारत में चंडीगढ़, दिल्ली व बेंगलुरु जैसे महानगरों में कंपनी के कार्यालय हैं। जय चौधरी 1,21,600 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं।</p> <p>हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार पिछले साल उनकी संपत्ति में लगभग 271 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अरबपति जय चौधरी की इस उपलब्धि के बाद लोग ऊना में रह रहे उनके बड़े भाई सेवानिवृत्त प्रिंसिपल दलजीत चौधरी व भाभी सेवानिवृत्त प्रिंसिपल निर्मल कौर को बधाई दे रहे हैैं।</p> <p> </p> <p><strong>सरकारी स्कूल से की पढ़ाई</strong></p> <p>दलजीत चौधरी ने बताया कि जय ने विपरीत परिस्थितियों में हार नहीं मानी और संघर्ष किया। बचपन में पढ़ाई करने चार किलोमीटर पैदल चलकर धुसाड़ा स्कूल जाते थे। बिजली न होने के कारण लालटेन और दीये की रोशनी में देररात तक पढ़ाई करते थे। आठवीं में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। 10वीं में दूसरा व ऊना महाविद्यालय में पढ़ाई कर यूनिवर्सिटी में पहले स्थान पर रहे। उसके बाद स्टडी लोन लेकर आइआइटी वाराणसी से बीटेक की। एमटेक के लिए अमेरिका का रुख किया और वहां कंप्यूटर कंपनी में करियर शुरू किया। 2008 में साइबर सिक्योरिटी कंपनी जी स्कैलर शुरू की। जय चौधरी के पिता भगत सिंह किसान थे.</p> <p> </p> <p>कोविड काल में भारत को दिए आक्सीजन कंसंट्रेटर</p> <p>भारत के प्रति उनका स्नेह हमेशा बना रहा है। कोविड काल में जय चौधरी ने भारत सरकार को आक्सीजन कंसंट्रेटर दिए। चौधरी का परिवार वर्तमान में नेस्डैक में सूचीबद्ध जी स्कैलर में 42 प्रतिशत का हिस्सेदार है। कंपनी का वर्तमान मूल्य लगभग 28 बिलियन डालर से ज्यादा है। कोरोना काल में डिजिटल प्रौद्योगिकी के तेजी से अपनाने के कारण चौधरी की कंपनी को बहुत ताकत मिली। इससे पहले वह कई स्कूलों को लाखों रुपये दान कर चुके हैं।</p> <p> </p> <p> </p> <p> </p>

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