Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
आप सभी को देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
भगवान विष्णु सबके जीवन में नई ऊर्जा, आस्था और समृद्धि का प्रकाश भर दें।
🙏🌺 जय श्री हरि 🌺🙏
#devuthaniekadashi #tulsivivaah
#godmorningsaturday
हमारे X परिवार के सभी दोस्तों से निवेदन है कि हमारे पोस्ट से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़िए और सब लोग कमेंट कीजिए.. जितना जल्दी कमेंट आएगा... मैं सबको रिप्लाई देना शुरू करूँगा । क्योंकि पूरा दिन लग जायगा रिप्लाई करने में.. इंगेज बढ़ाने का बस यही तरीका है। सबको एक दूसरे का सहयोग करना होगा..🙏
कल जो भी दोस्त मेरे पोस्ट पर आए थे💯 उनके कमेंट का रिप्लाई दे दिया..
आप लोग भी रिप्लाई कीजिए तभी सबका फायदा होगा... धन्यवाद🙏
आज भगवान विष्णु चातुर्मास के बाद, योगनिद्रा त्याग कर पुनः सृष्टि का संचालन करना आरम्भ कर देंगे ।
#तुलसी_विवाह #देवउठनी_एकादशी की शुभकामनाएँ ।
#जय_श्री_हरि_विष्णु 🙏
🌿तुलसी विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌿
तुलसी विवाह के पावन अवसर पर भगवान विष्णु और माता तुलसी आप सभी के जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि का संचार करें।
#tulsivivah #tulsipuja
#devuthaniekadashi
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के निधन के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक घोषणा की और आदेश जारी किया।
आदेश में दो मुख्य बातें यह थी कि सरदार पटेल को दी गई सरकारी कार तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए।
दूसरी बात यह थी कि गृहमंत्रालय के सचिव/अधिकारी वगैरह जो भी सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में बंबई जाना चाहते हैं वो अपने व्यक्तिगत खर्चें पर जाएं।
लेकिन उस समय के तत्कालीन गृह सचिव वी पी मेनन ने एक अचानक बैठक बुलाई और सभी अधिकारियों को अपने खर्चे पर बबंई भेज दिया और नेहरू के आदेश का जिक्र ही नहीं किया।
नेहरू ने कैबिनेट की तरफ़ से तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को सलाह भिजवाया कि सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल ना हों लेकिन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने कैबिनेट की सलाह नहीं माना और सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल होने का निर्णय लिया।
जब यह बात नेहरू को पता चली तो वंहा सी राजगोपालाचारी को भेज दिया और सरकारी स्मारक पत्र पढ़ने के लिए राष्ट्रपति के बजाय सी राजगोपालाचारी को दे दिया।
कुछ दिनों बाद कांग्रेस में ही मांग उठी कि इतने बड़े नेता के सम्मान में कुछ करना चाहिए स्मारक वगैरह बनना चाहिए पहले तो नेहरू ने मना कर दिया फिर तैयार हुए।
फिर नेहरू ने कहा सरदार पटेल किसानों के नेता थे हम उनके नाम पर गांवों में कुंए खोदेंगे यह योजना कब आई कब बंद हुई कोई कुंआ खुदा भी या नहीं किसी को नहीं पता या फिर सिर्फ एक व्यंग्य था।
नेहरू के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में सरदार पटेल को रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता पुरूषोत्तम दास टंडन को पार्टी से निकाल दिया।
सरदार पटेल को अगर असली सम्मान किसी ने दिया है तो वो है भाजपा।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल को असली सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे।
कांग्रेस का सरदार पटेल से नफ़रत का आलम यह है कि आज भी कांग्रेस नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से दूरी बनाए रखते हैं।