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52 साल की उम्र में अर्जुन रामपाल ने 30 साल की जवान अंग्रेजन लड़की गैब्रिएला डेमेट्रियड्स से शादी कर ली और 2 बच्चे करके इतिहास रच दिया ।। बॉलीवुड कैरियर की बात करें तो अर्जुन रामपाल ज्यादा कुछ खास हिट फिल्में नहीं दे पाए ।। यूँ कहें तो पूरी तरह फ्लॉप हीरो ही समझो लेकिन कुछ 2 - 4 हिट फिल्मों की वजह से बॉलीवुड में नाम बना लिया ।। अर्जुन रामपाल ने अभी तक 2 शादी करी हैँ पहले वाली पत्नी से भी 2 बच्चे हैँ लेकिन उनकी पहली बीवी जो कि अब पूरी तरह बूढी हो चुकी हैँ वहीं अर्जुन रामपाल अभी भी जवान और फिट हैँ क्योंकि अर्जुन रामपाल हिमालय से लायी हुई शुद्ध शिलाजीत का प्रतिदिन सेवन करते हैँ ।। अर्जुन का कहना है कि उनकी पहली बीवी की उम्र हो चुकी थी इसलिए उन्होंने उनको तलाक दे दिया । क्योंकि अर्जुन अपनी पहली पत्नी से खुश नहीं थे , इसलिए अर्जुन ने अब जवान और हसीन उम्र की अंग्रेजन लड़की गैब्रिएला डेमेट्रियड्स से शादी कर ली और अब अपनी जवान बीवी संग अक्सर एन्जॉय करते हुए नज़र आते हैँ ।।
फिलहाल अर्जुन रामपाल ने अपनी पहली बीवी को छोड़कर सही किया या गलत किया कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं ?

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क्या यह सत्य है कि सूर्यषष्ठी और छठ व्रत का पालन महर्षि मुद्गल के संरक्षण और मार्गदर्शन में भगवान राम और माता सीता ने किया था ?
हाँ, यह मान्यता कई पौराणिक और क्षेत्रीय ग्रंथों में पाई जाती है कि सूर्यषष्ठी या छठ व्रत का पालन भगवान राम और माता सीता ने महर्षि मुद्गल के आश्रम में उनके संरक्षण और मार्गदर्शन में किया था|
🆗व्रत की धार्मिक प्रकृति : मुद्गल ऋषि ने माता सीता को कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्यदेव की आराधना का यह व्रत करने को कहा था। क्यैकि महिलाएं उस समय गायत्री उपासना और यज्ञ में भाग नहीं ले सकती थीं, इसलिए सीता ने सूर्योपासना के इस मार्ग का अनुसरण किया — अस्ताचल सूर्य को पश्चिम दिशा में और उदीयमान सूर्य को पूर्व दिशा में अर्घ्य देकर संपन्न किये थे |
🅰️रामायण कालीन संदर्भ : आनंद रामायण और लोककथाओं के अनुसार, रावण-वध के बाद भगवान राम को ब्रह्महत्या का पाप लगा। इसके निवारण हेतु कुलगुरु वशिष्ठ ने उन्हें माता सीता सहित मुंगेर स्थित महर्षि मुद्गल के आश्रम भेजा। वहाँ मुद्गल ऋषि ने भगवान राम को वर्तमान "कष्टहरणी घाट" पर ब्रह्महत्या-मोचन यज्ञ करवाया और माता सीता को आश्रम में रहकर छठ व्रत करने का आदेश दिया
🅱️मुंगेर का ऐतिहासिक-आध्यात्मिक महत्व : बिहार के मुंगेर जिले के गंगा तट पर स्थित वर्तमान "सीताचरण मंदिर" को वही स्थान माना जाता है, जहाँ माता सीता ने ऋषि मुद्गल के मार्गदर्शन में प्रथम छठ व्रत किया था। यहाँ आज भी माता सीता के चरणचिह्न माने जाने वाले निशान विद्यमान हैं, जो गंगा के जलस्तर के साथ हर छह महीने डूबते और उभरते रहते हैं
✍️अतः यह पौराणिक दृष्टि से सत्य है कि सूर्यषष्ठी या छठ व्रत की परंपरा को त्रेतायुग में भगवान राम और माता सीता द्वारा ऋषि मुद्गल के आश्रय में आरंभिक रूप मिला था, और मुंगेर को इसका जन्मस्थान माना जाता है ]।
आपका प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण और गूढ़ है, क्योंकि यह छठ व्रत (सूर्यषष्ठी) की पौराणिक उत्पत्ति और ऐतिहासिक परंपरा दोनों से जुड़ा है।
आइए इसे तीन दृष्टिकोणों से — पौराणिक, लोक-परंपरागत, और ऐतिहासिक-दार्शनिक — स्पष्ट रूप से समझें।

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छठ पूजा भक्ति और आस्था का पर्व है, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये सिर्फ कॉपी-पेस्ट करने का मौका बन गया है!

हर साल वही तस्वीर, वही संदेश...
ना भाव, ना विश्वास, सिर्फ दिखावा!

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भगवान सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ आज महापर्व छठ का शुभ समापन हुआ। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दौरान छठ पूजा की हमारी भव्य परंपरा के दिव्य दर्शन हुए। समस्त व्रतियों और श्रद्धालुओं सहित पावन पर्व का हिस्सा बने अपने सभी परिवारजनों का हृदय से अभिनंदन! छठी मइया की असीम कृपा से आप सभी का जीवन सदैव आलोकित रहे।

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दुनिया में कोई नेता हो तो मोदी जैसा जो हर साल दिवाली पर देश के जवानों की तरह उनके जैसे

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अगर दुनिया में कोई प्रधानमंत्री हो तो मोदी जैसा जो दीपावली पर अपने राष्ट्र के जवानों के साथ...

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#inpics | President Droupadi Murmu offered Chhath Puja prayers at Rashtrapati Bhavan, marking the festival with traditional rituals.

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