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👏🏼 एक दोस्त हलवाई की दुकान पर मिल गया ।
⭕मुझसे कहा- ‘आज माँ का श्राद्ध है, माँ को लड्डू बहुत पसन्द है, इसलिए लड्डू लेने आया हूँ '
⭕मैं आश्चर्य में पड़ गया ।
अभी पाँच मिनिट पहले तो मैं उसकी माँ से सब्जी मंडी में मिला था ।
⭕मैं कुछ और कहता उससे पहले ही खुद उसकी माँ हाथ में झोला लिए वहाँ आ पहुँची ।
⭕मैंने दोस्त की पीठ पर मारते हुए कहा- 'भले आदमी ये क्या मजाक है ?
माँजी तो यह रही तेरे पास !
⭕दोस्त अपनी माँ के दोनों कंधों पर हाथ रखकर हँसकर बोला, 'भई, बात यूँ है कि मृत्यु के बाद गाय-कौवे की थाली में लड्डू रखने से अच्छा है कि माँ की थाली में लड्डू परोसकर उसे जीते-जी तृप्त करूँ ।
⭕मैं मानता हूँ कि जीते जी माता-पिता को हर हाल में खुश रखना ही सच्चा श्राद्ध है ।
♻आगे उसने कहा, 'माँ को मिठाई,
सफेद जामुन, आम आदि पसंद है ।
मैं वह सब उन्हें खिलाता हूँ ।
♻श्रद्धालु मंदिर में जाकर अगरबत्ती जलाते हैं । मैं मंदिर नहीं जाता हूँ, पर माँ के सोने के कमरे में कछुआ छाप अगरबत्ती लगा देता हूँ ।
⭕सुबह जब माँ गीता पढ़ने बैठती है तो माँ का चश्मा साफ कर के देता हूँ । मुझे लगता है कि ईश्वर के फोटो व मूर्ति आदि साफ करने से ज्यादा पुण्य
माँ का चश्मा साफ करके मिलता है ।
♻यह बात श्रद्धालुओं को चुभ सकती है पर बात खरी है ।
⭕हम बुजुर्गों के मरने के बाद उनका श्राद्ध करते हैं ।
पंडितों को खीर-पुरी खिलाते हैं ।
♻रस्मों के चलते हम यह सब कर लेते है, पर याद रखिए कि गाय-कौए को खिलाया ऊपर पहुँचता है या नहीं, यह किसे पता ।
*🙏🏻🌺 माता-पिता को जीते-जी ही सारे सुख देना वास्तविक श्राद्ध है ॥*
“तर्क किए बिना किसी भी बात को आंख मूंदकर मान लेना भी एक प्रकार की गुलामी है" - #भगत सिंह
देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर क्रांति की अलख जगाने वाले, अमर बलिदानी शहीद "भगत सिंह जी"
की जयंती पर विनम्र अभिवादन...❤️🙏🌸
तू जिए हजारों साल 🥰🥰
गुप्त रूप से ज़मीन खरीदें। चुपचाप उस ज़मीन पर बढ़िया से घर बनाएँ। फिर पूरे प्रचार के साथ गृह प्रवेश पार्टी करें। गुप्त रूप से डेट करें। निजी तौर पर प्रपोज़ करें। फिर भीड़ के सामने शादी करें।
अपने विरोधियों को सिर्फ़ अपनी वास्तविकता दिखाएँ, कभी अपना विजन न दिखाएँ, वरना आपमें फूट पड़ जाएगी।
शतरंज के खेल में, आप बोलते नहीं हैं। आप सिर्फ़ काम करते हैं। शतरंज खेलते समय आप सिर्फ़ चेकमेट कहने के लिए बोलते हैं। जीवन शतरंज की तरह है। अपने इरादों को प्रसारित न करें। चुपचाप काम करें।
हासिल करते रहें। आपकी उपलब्धियाँ ही आपका चेकमेट हैं।
(एक यूट्यूब वीडियो में)