अंकुर धामा, भारत के पहले नेत्रहीन धावक हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार भारत में खेलों के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए दिया जाता है, और अंकुर के लिए यह सम्मान उनकी कठिनाइयों और समर्पण का प्रमाण है।
अंकुर धामा नेत्रहीन होने के बावजूद, उन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं। वे 800 मीटर, 1500 मीटर, और 5000 मीटर दौड़ में महारत रखते हैं। अंकुर ने 2014 एशियाई पैरा खेलों और 2016 रियो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जहाँ उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।
अर्जुन पुरस्कार अंकुर के खेल जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पुरस्कार उन्हें उनके द्वारा दिखाए गए समर्पण, कठिनाईयों के बावजूद उच्च स्तर के प्रदर्शन, और देश के लिए खेलों में किए गए योगदान के लिए मिला है। अंकुर धामा का यह सम्मान देशभर में उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। 🌟🏅