Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
हर 5-10 गाँव के बीच "कोंवेंट" और "मदरसे" हैं पर सैकड़ों सैकड़ों किलोमीटर के बीच कोई "गुरुकुल" नहीं मिलता
हर गली चौराहे पर मजार ,मस्जिद है पर कई कई गांवों के बीच कोई यज्ञशाला नहीं मिलती
मजारों पर चादर चढाते,सर रगड़ते रोज लाखों जाते है ,यज्ञ कितने करते हैं
????/
जींस लटकाए बुड्ढे दिखाई देते हैं ,धोती वाले बाबा अब लुप्त हो गए हैं और हम अभिमान करते हैं कि सनातनियों को कोई मिटा नहीं सकता
वैसे और किस तरह मिटना चाहते हो ????
पग पग भूमि और घर घर से सनातन संस्कृति नष्ट हो गयी,क्या अभी कुछ और शेष है ???
जिस व्यक्ति के अन्दर सनातन संस्कृति नहीं क्या उसे भी सनातनी कहोगे ????
वो व्यक्ति वो घर सनातनी नहीं जिस के घर गाय ना हो जिस के घर यज्ञ ना हो तुम्हारे अन्दर का
सनातनी उसी दिन मर गया था जिस दिन तुम्हारे घर से "यज्ञ की अग्नि" और "गाय" को निकाल दिया था ,अब तो तुम्हारा कोरा भ्रम है कि तुम सनातनी हो
क्यों झूठा घमंड करते हो नादानों ????
ये झूठा भ्रम भी ज्यादा दिन नहीं कर पाओगे
स्वैग हो तो तुर्की के शूटर Yusuf Dikec जैसा 😃
Olympic में शूटर्स को काफ़ी कुछ पहनना पड़ता है जैसे कि
एक आंख पर लेंस जिससे कि ब्लर से बच सकें
एक दूसरी आंख पर लेंस जिससे कि सही निशाना लग सके
कानों को कवर करते हैं क्योंकि शोर न सुनाई दे
मगर 51 साल के तुर्की के Yusuf Dikec मात्र अपना चश्मा पहनकर आए और पिस्टल उठाई और
मारी गोली धायं धायं और Silver medal जीतकर भी ले गए