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हमारे पड़ोस #श्रीलंका में भारत समर्थक राणासिंघे प्रेमदासा राष्ट्रपति का चुनाव हार गए। भारत विरोधी दृष्टिकोण रखने वाले अनुरा दिसानायके वहां के राष्ट्रपति चुने गए हैं। एक बड़ा झटका भारत की शांति और समृद्धि की संभावनाओं में बांग्लादेश की घटना क्रम से लगी है। हमको बार-बार गले लगाने वाले #अमेरिका ने ही कुछ ऐसी कूट रचना की भारत के साथ बांग्लादेश की ऐतिहासिक मित्रता की ध्वजवाहक शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। म्यांमार, मालदीप, नेपाल पहले से ही चीन के प्रभाव में हैं। #पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खूंखार भारत विरोधी सरकारें हैं। एक मित्र भूटान भी है, हमारी विदेश नीति के ध्वज वाहकों को इस भारत विरोधी पड़ोस के उभार पर निरंतर नजर रखनी चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं है कि अमेरिका और चीन, दोनों हमारी मजबूत होती हुई जड़ों को हिलाने पर लगे हुए हैं !!
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ये उन दिनों की बात है जब पूरे गांव में लैंडलाइन फोन या मोबाइल की सुविधा नहीं थी,तब घर के चूल्हे पर रखे तवे को हँसता देख घर की महिलाएं 2–4 रोटी एक्स्ट्रा बना देती थी और घर वालों को संकेत कर देती थी कि आज कोई न कोई मेहमान आने वाले हैं। घर के सभी सदस्य भी तवे को अलर्ट मोड में देख कर खुद भी अलर्ट हो जाते थे। एक जिज्ञासा होती थी कि आज कौनसे मेहमान आने वाले हैं?तब घर वाले अलग–अलग आइडिया लगाते थे की आज कौनसे मेहमान आयेंगे? कई महिलाएं तवे को हंसता देखकर कहती छोरे के मामा आये तो हंसना बन्द कर, छोरे की बुआ आये तो हंसना बन्द कर ऐसे काफी उदाहरण देती व जिसके उदाहरण के समय तवा हंसना बन्द करता उस बात से अंदाजा लगा लेती कि आज कौन मेहमान आने वाले है कई बार यह अंदाजे सच भी होते थे। हालांकि तवे के नीचे चिंगारियां दिखने का वैज्ञानिक कारण तो यह होता है कि तवे ने नीचे लगी धुएं की कालिमा में कार्बन के अंश रह जाते थे फिर रोटी बनाते वक्त आग जलाते तो कभी कभी वे कार्बन के कण चिंगारी के रूप में सुलगते तो वे सुंदर से दिखते जिसे लोग "तवा हँसना" कहते व किसी मेहमान के आने का संकेत करते।
क्या आपने भी ये सब देखा हैं ? 😊