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अपनों से विरोध - मतांतर - नाराजगी - गिले - शिकवों का वक्त ख़त्म हुआ , अब मजबूती के साथ अपने दल , अपनी राजनीतिक विचारधारा के लिए डटे रहिए , विरोधियों की हार सुनिश्चित करने हेतू अपनी तरफ से कोई कसर मत छोड़िए , मगर इस बात का भी पूरा ख्याल रखिए की विरोध की भाषा, जीतने का कोई भी प्रयास मर्यादा की सीमा से बाहर न हो..
विरोधियों के साथ भी सामाजिक - व्यावहारिक औपचारिकता का निर्वाह करिए और उनके लिए भी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए रण में उनके ख्वाहिशों के रथ को नेस्तनाबूद कर दीजिए .. नकारात्मकता से बचते हुए सकारात्मक प्रयास व् सोच के साथ जीत का परचम फहराने - लहराने की सोचिए ..
जय हिंद .. जय बिहार.. जय सामाजिक न्याय - जय समाजवाद 🙏
पहले अपने गिरेबान में झांकिए .. अमित शाह जी
आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों, बाहुबलियों को या उनके बच्चों को चुनाव में प्रत्याशी बनाने के मुद्दे पर दोहरी - दोगली बात करने से पहले भाजपा और अमित शाह जी को अपनी गिरेबान में झाँकना चाहिए , फिर विपक्ष पर दोषारोपण करना चाहिए ..
आपराधिक मुकदमों में नामजद लोगों की उपस्थिति जितनी भाजपा और उसके एनडीए गठबंधन में है , उसकी तुलना में विपक्षी दलों व् इंडिया अलायंस में ऐसे लोगों की संख्या कम है, एडीआर की रिपोर्ट और चुनाव आयोग में दाखिल चुनावी हलफनामों से भी ये स्पष्ट होता है, राज्यों की विधानसभा की बात तो छोड़ दीजिए, देश की लोकसभा में सांसद के तौर पर चुन कर गए सांसदों में भी संज्ञेय अपराध के मुकदमों में नामजद सांसदों की संख्या के मामले में भाजपा अव्वल है .. गौरतलब है कि खुद अमित शाह जी की पृष्ठभूमि गंभीर आपराधिक चरित्र वाली रही है और एक समय माननीय न्यायालय ने भी उन्हें सभ्य समाज में नहीं रहने लायक बताते हुए तड़ीपारी की सजा सुनाई थी .