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दिल्ली में आफताब ने साथ रहने वाली प्रेमिका श्रद्धा के शरीर के कई टुकड़े कर दिल्ली में जगह-जगह फेंके।
6 महीने बाद हुआ खुलासा।
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आफताब जिसने दिल्ली में इस प्रेमिका श्रद्धा को 35 टुकड़ों में काटा और 20 दिन तक ये टुकड़े दिल्ली के जंगल में फेंकता रहा।
श्रद्धा तुमने अपना प्यार पहचानने में बड़ी गलती कर दी।

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बेटियां कभी अपने मां बाप के लिए बोझ नहीं होती है
जब हम किसी लड़की से शादी करते हैं तो उसकी
देखभाल की
जिम्मेदारी हमारी होती है लड़की की मां बाप की नहीं होती है
मर्द वही होता है जो रिश्तो में बराबर देखभाल रखें हम लोग ज्जबात मे‌ बहकर शादी तो कर लेते हैं
लेकिन शादी को निभाना भी है ऐ हम भूल जाते हैं इसके नतीजे कुछ ही महीनों में पति पत्नी के बीच दीवार खड़ी होनी चालू हो जाती हैं
ऐ दीवार खड़ा करने में लड़के के मां बाप का सबसे बड़ा हाथ होता है इनकी नजर मे ओ लड़की इनकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है
शादी प्यार करके करें या मां-बाप की मर्जी से करें लेकिन लड़के के मां बाप उस लड़की को वक्त के तौर पर पसंद करते हैं
और अपनी रजामंदी का इजहार भी कर देते हैं लेकिन उनके दिल में ओ लड़की उनकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है क्योंकि ऐ समझते हैं
कि ऐ है ओ लड़की जिसने हमसे हमारा बेटा छीना और लड़के के बेहन भी समझती हैं यही है वो लड़की जिसने हमसे हमारा भाई छीना। है फिर उसके बाद उस हंसते खेलते घर ऐसी तीली लगाती हैं कि जो लड़का कुछ महीने पहले अपनी पत्नी के साथ सारा दिन मोहब्बत की बातें करता था और अब उस लड़की का नाम सुन्ना भी पसंद नहीं करता और इसी तरह वो बसा बसाया घर कुछ ही महीनों में उजाड़ ने के करीब पहुंचा दिया जाता है और उस लड़की को उसके घर पहुंचा दिया जाता है बेटियां कभी अपने मां बाप के लिए बोझ नहीं होती है लेकिन मां-बाप अपनी बेटी का दुख बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और बेटी के ससुराल वालों के पैरों तक गिर जाते हैं और
ससुराल वाले ऐ समझते हैं की

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थोङी क्षमा मेरे लिए भी रखिए
जिससे किसी को परेशानी हो या गलत लगे तो कृपया गलत कॉमेंट ना करें अगर आपको पसंद ना है तो माफी मांग रहा हूं
#नंगापन एक संक्रामक रोग है
यह अधिकतर कामुक अभिनेत्रियों व फूहङ बालाओं द्वारा फैलाया जाता है।
जब इच्छुक नारियां इनकी नग्नता को देखती हैं
तो यह विषाणु आंखों के माध्यम से उनके हृदय तक मार करता है। उनके मन में भी वही नंगापन करने की तीव्र इच्छा मचल जाती है
#रोग_के_लक्षण
@ऐसी औरतें नंगेपन को सभ्यता, विकास आजादी, व टेलैंट समझती हैं।
@ जिस नारी में गुणों का अभाव होता है या वो मेहनत नही चाहती वो #नंगेपन का सहारा लेकर दुनिया का ध्यान आकर्षित करती है
@नंगापन सभी नग्नातुर नारियों पर समान प्रभाव डालता है। जाति पाति, ऊंच नीच, गोरी काली ,सशक्त कमजोर, शिक्षित अशिक्षित, अमीर गरीब में कोई भेदभाव नही करता
बल्कि पेट भर जाने पर और पैसे आ जाने पर , प्रसिद्धि मिल जाने पर नंगेपन से प्रभावित होने के आसार अधिक होते है
@अपनी टांगों को रोज वैक्सिंग, रेजर से चमकाती है। ब्लीच से रोएं जलाकर खाल गोरी दिखाती हैं।
2000 ₹ की पुताई के बाद मुंह दिखाने लायक बनता है
@वस्त्र ये सोच कर पहनती है शरीर दिखाना अधिक है ढकना कम हैं।
@ कुछ गे (समलैंगिक) फैशन डिजाइनर जो मर्जी पोशाक बना दें, कहीं से भी फाङ दें। इन्हे वो पहननी जरूरी होती है मातृत्व और उत्सर्जन अंगों का ढका प्रदर्शन मुख्य उद्देश्य होता है।
@ कला के नाम पर मिनी स्कर्ट पहन कर टांगे चौङी करके नाचना बहुत आवश्यक समझती हैं।
@ऐसी नारी अपनी आयु छिपाती है और पूछने पर भङक जाती है। बहनजी और माता जी शब्द इन्हे अपमान लगते हैं।
@पर पुरूषो से उम्मीद करती हैं कि वो उनको देखते ही उनका प्रशंसक बन जाए।
@ पहले इन्हे नंगेपन को फैलाने के लिए सिनेमा और मीडिया जैसे मंच की जरूरत होती थी लेकिन अब टिकटाक और अन्य एप आने से ये अपने घर से ही इस कामुकतापूर्ण अभियान को बढावा देती हैं।
@कोई इनकी हरकतों को गलत कहे तो
ये उस व्यक्ति की सोच को तुच्छ और गलत बताती है और सोच बदलने की रटी रटाई सलाह देती हैं
@हर समय नारी स्वतंत्रता और नारी शोषण के मुददे का रोना रोती हैं इसकी आङ में नंगापन फैलाती हैं।
@विवाह के बाद अक्सर कोर्ट में पाई जाती हैं तलाक और यौन शोषण के फर्जी मुकदमों में।
@ इनके बच्चे किराए की कोख से पैदा होतें हैं दर्द ममता और चीखों का सौदा होता है।
@उम्र ढलने पर तथाकथित नारी उत्थान संस्थाओं में उच्च पदों पर काबिज मिलती है
राजनेताओं की सेवा करके
और नारी को हक दिलाने के फर्जी दावे करती हैं

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लाकी दास स्वामी गंगाशहर बीकानेर यह पोस्ट किया है फ्री होकर प्यार से पढना आनंद आयेगा अगर पोस्ट अच्छी लगे आगे शेयर करें और अपने कॉमेंट जरूर करे
2021 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़
जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए य ह खास है🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो
🤔🤔🤔
# हम_वो आखिरी_पीढ़ी_हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।
🙏🏻 *हम वो पीढ़ी हैं*
जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है।
प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।
🙏 हम वो " लोग " हैं ?
जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।
🙏हम आखरी पीढ़ी के वो लोग हैं ?
जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।
🙏हम वही पीढ़ी के लोग हैं ?
जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।
🙏हम उसी आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?
जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।
🙏हम वो आखरी लोग हैं ?
जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।
🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?
जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।
🙏हम वो आखरी लोग हैं ?
जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।
🙏हम वो आखरी लोग हैं ?
जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।
🙏 हम वो आखरी लोग हैं ?
जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!
🙏हम वो आखरी लोग हैं जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।
🙏हम निश्चित ही वो लोग हैं
*जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।*
🙏हम वो आखरी लोग हैं
*जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।*
उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।
*एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।*
*सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।*
*वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।*
*डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।*
🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं
*जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं,* *जो लगातार कम होते चले गए।*
*अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।*
और
🙏हम वो खुशनसीब लोग हैं
जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!
🙏 *और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा" लगने वाला नजारा देखा है।*
*आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।*
🙏 *पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।*
🙏 *" अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।*
*"पार्थिव शरीर" को दूर से ही "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।*🙏
🙏हम आज के भारत की *एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।* 🙏 *शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था जैसे....*
*सब्जी देने वाले को गाइड करना, *हिला के दे या तरी तरी देना!*
.👉 *उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना*
.👉 *पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !*
👉 *पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना*
.👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी
🍪 रखवाना !
.👉 *रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।*
.👉 *पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।*
.👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
😜
..............
एक बात बोलूँ इंकार मत करना ये मेसिज जितने मर्जी लोगों को भेजना क्योंकि
जो इस मेसिज को पढेगा
उसको उसका बचपन जरुर याद आयेगा.वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।
और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.

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🌾चार कीमती रत्न भेज रहा हूँ..🌹
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इससे जरूर धनवान होंगे..!🙌🌹
🌾1.पहला रत्न है:-
" माफी "🙏
तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।*🙌🌹
🌾2.दूसरा रत्न है:-
"भूल जाना"👏*रखना
अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किए गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।🙌🌹
🌾3.तीसरा रत्न है:-
"विश्वास"*🙌
हमेशा अपनी मेहनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना । यही सफलता का सूत्र है ।🙌🌹
🌾4.चौथा रत्न है:-
"वैराग्य"😭
हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निश्चित ही हमें एक दिन मरना भी है..! इसलिए बिना लिप्त हुए जीवन का आनंद लेना ! वर्तमान में जीना ! यही जीवन का असल सच है..!
🍇🌿🍇🌿🍇🌿🍇🌿
‬: प्रभु कहते है....!!
होती आरती, बजते शंख,
पूजा में

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"राम सीता का प्रेम"
वनवास के दौरान एक दिन सूखी लकड़ियाँ तोड़ते हुए राम की दाहिनी हथेली में खरोंच लग गई जिससे खून निकलने लगा।
अपनी कुटिया में आकर उन्होंने सीता को दिखाया तो सीता ने घाव पर कपड़ा बाँध दिया। उस दिन भोजन के समय राम हाथ से फल खाने लगे तो खाने में हो रही असुविधा को देेेेख सीता ने अपने हाथों से उन्हें फल खिलाना शुरू किया।
एक सप्ताह तक लगातार सीता ने यह क्रम जारी रखा। फिर उन्हें आश्चर्य हुआ कि अब तक तो घाव से राहत मिल जानी चाहिए लेकिन अब भी पतिदेव हाथ में कपड़ा बाँधे रहते हैं। इस दौरान कई बार सीता ने राम से कहा कि मुझे दिखाइये कि घाव सूख रहा है कि नहीं, लेकिन राम ने कभी हथेली पर बँधा कपड़ा नहीं उतारा।
एक दिन सोेेते समय सीता ने चुपके से राम की हथेली पर बँधा कपड़ा खोल दिया। वो ये देख दंग रह गईं कि राम का घाव ठीक हो गया था।
अगले दिन सीता ने राम के आगे फल रख दिये और कुछ दूर बैठ गईं। राम सीता की ओर देखते रहे कि रोज की तरह ये मुझे अपने हाथों से खिलायेंगी।
सीता ने उनकी उम्मीद भरी नजरों में देखकर कहा, ‘‘फल खाइये, अभिनय मत कीजिए। मुझे सब पता चल चुका है। आपका घाव बहुत पहले ठीक हो चुका था फिर आपने ये बात मुझे बताई क्यों नहीं ?’’
राम को झटका लगा। सोचा आज सच उजागर हो गया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे हाथों से फल खाने से मुझे विशेष सुख मिल रहा था और मैं उस सुख से वंचित होना नहीं चाहता था।’’
सीता बोली, ‘‘अच्छा तो ये बात थी। आपने हमें भुलावे में रखा इसका दंड आपको मिलना चाहिए। आपका दंड है कि जितने दिनों मैंने आपको अपने हाथों से खिलाया है उतने दिनों तक आपको भी मुझे अपने हाथों से खिलाना होगा।’’
राम ने कहा, ‘‘ये पुरस्कार है जो मुझे स्वीकार है।’’

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miss You Sidhu Moose Wala 💔😭

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